________________ B E 5. --------------- वाचकवर्य-उमास्वातिजी-प्रणीता श्रावकप्रज्ञप्तिः। [हरिभद्रसूरीश्वरजी विरचित 'दिक्प्रदा व्याख्या-समलंकृता] कः 더더더더더더더더더더더더더더더더더 . संपादकः . पूज्याचार्य-शान्तिचन्द्रसूरीश्वर-शिष्य-पूज्यपंन्यासप्रवर सुज्ञानविजयजी गणिवर्य .. शिष्याणुः मुनिश्री-राजेन्द्रविजयः। [साहित्याचार्यों भाषारत्नश्च .. प्रकाशक : संस्कार सा हि त्य सदन डीसा [बनासकांठा]