________________ जुदा जुदा विषयमा मलेला काव्यो . . शुद्ध धर्मनुं फल. सवंशजन्म गृहिणी स्पृहणीयशीला / . लीलायितं वपुषि पौरुषभूषणा श्री.।। पुत्राः पवित्र चरित्राः सुहृदोऽपदोषाः। स्युर्धर्मतः खलु फलानि पचेलिमानि // 48 // __राजपुत्रोमां सहज विनय गुण होय छे. पंडितोनी भाषामां संस्कार होय, घतकारोनी भाषामां लगभग असत्य होय छे. तेम स्त्रीओमा मायानी बहुलता होय छे.. विनयं राजपुत्रेभ्यः, पण्डितेभ्यः सुभाषितं / अनृतं द्यूतकारेभ्या, स्त्रीभ्यः शिक्षेत कैतवं // 49 // ___स्त्री मरीने पुरुष पण थाय छे संतुट्टा सुविणीया, अज्जवजुत्ता जो थिरा निच्चं / सच्चं जंपइ महिला, सा पुरिसो होइ मरिऊण // 50 // - पुरुष पण मरीने स्त्री थाय छे . जो चवलो सढभावो, माया कवडेहिं वश्चए सयणं / .. नहि कस्सय विसत्थो, सो पुरिसो महिलिया होइ॥५११ शत्रुजय दर्शननु माहात्म्य पुण्यं चिनोति नरजन्म फलं तनोति, पायं लुनाति नयनानि सतां पुनाति / दूरेपि दर्शनपथं समुपागतो यः। श्रीमानसौ विजयतां गिरिपुण्डरीकः // 52 //