________________ हुदा जुदा विषयमा मळेला काव्यो तस्माद् व्याधिरुगान्तके हितकरे संसार निस्तारके। .. ध्याने शुक्लवरे रजःप्रमथने कुर्यात् प्रयत्नं बुधः // 4 // ... कोईने क्यारे पण नदी नमनारो पण पत्नीना पगोमां पड़े के जे नामंति न सीसं कस्सवि, भुवणे वि जे महासुहडा / रागंधा गलिअबला, रुलंति महिलाण चरणतले // 5 // हत्थी दम्मइ संवच्छरेण, मासेण दम्मइ तुरगो। महिलाए किर पुरिसो, दमए एगेण दिवसेण // 6 // सम्मोहयन्ति मदयन्ति विडंबयन्ति / निर्भयन्ति रमयन्ति विसादयन्ति // एताः प्रविश्य सदयं हृदयं नराणां / किं नाम वामनयना न समाचरन्ति // 7 // आवी उत्तम सामग्री निर्दम धर्म आराधनाथी मले के स्थाने निवासः सकलं कलत्रं, पुत्रः पवित्र: सुजनानुरागः। न्यायाच वित्तं स्वहितं च चित्तं, निश्छद्मधर्मस्य सुखानि सप्त // 8 // महापुण्यनो उदय होय तेवाओनेज-पुत्र-मित्र अने। पत्नी सारां मले छे प्रीणाति यः सुचरितैः पितरं स पुत्रो, यद्भर्तुरेव हितमिच्छति तत् कलत्रम् / तन्मित्रमापदि सुखे च समक्रियं य देवत्रय जगति पुण्यकृत्तो लभन्ते // 9 //