________________ विविधविषयविचारणासूक्तानि जे सया संन्निहिं कामे, गिही यव्वइए न से // श्लोकार्थः __ मुत्रादिना रोधथी थतुं नुकशान तिन्नि सल्ला महाराय, असिं देहे पइडिया / वायमुत्तपुरीसाणं, पत्तवेगं न धारये // 16 // मुत्तनिरोहे चक्खू, वञ्चनिरोहे जीवियं चयइ / उदनिरोहे कोडं, गेलन्नं वा भवे तिसुवि // 17 // मननां शल्य सामी अविसेसन्नू, अविणीओ परियणो परवसत्तं / भज्जा य अणणुरूवा, चत्तारि मणस्स सल्लाई // 18 // सात प्रकारनां सुख ताम्बुलं सिरिखण्डं, सज्जगुट्ठी सगोरसा साली। मालइमाला बाला, वरगेयं सत्त सुक्खाइं // 19 // ___ जेनी जेवी भावना तेवु तेनुं फल मन्त्रे देवे गुरौ तीर्थे, दैवज्ञे स्वप्नभेषजे / यादृशी भावना यस्य, सिद्धिर्भवति तादृशी // 20 // . देवांशी मनुष्यनुं लक्षण देवपूजा दया दानं, दाक्षिण्यं दमदक्षते / यस्यैते षड् दकाराः स्युः, स देवांशी नरः स्मृतः // 21 // कुलटाओनी स्थिति सुवेषं पुरुषं दृष्ट्वा, भ्रातरं यदि वा सुतम् / योनिः क्लियति नारीणां, सत्यं सत्यं हि नारद ! // 22 //