________________ सुभाषितसूक्तरत्नमाला 166 अनेकार्थशब्दसूक्तानि पद शब्दना अर्थ पदं स्थाने विभक्त्यन्ते, शब्दे वाक्यैकवस्तुनः / त्राणे पादे पादचिह्न, व्यवसायप्रदेशयोः // 1 // __ तुला शब्दना अर्थ तुलासूत्रेऽश्वादिरश्मी, सुवर्णे हलिपादपे / बन्धने किरणे बन्यां, भुजे च प्रग्रहं विदुः // 2 // __ योग शब्दना अर्थ जोगो विरियं थामो, उच्छाह परकमो तहा चिट्ठा / सत्ती सामत्थं चिय, जोगस्स हवंति पज्जाया // 3 // योगो वीर्य स्थाम, उत्साहः पराक्रमस्तथा चेष्टा / शक्तिः सामर्थ्य चैव, योगस्य भवन्ति पर्यायाः // 4 // लक्ष्मी शब्दना अर्थ लक्ष्मी: पद्मा रमा या मा, ता सा श्रीः कमलेन्दिरा / हरिप्रिया पनवासा, क्षीरोदतनयापि च // 5 // महानंद शब्दना अर्थ महानन्दोऽमृतं सिद्धिः, कैवल्यमपुनर्भवः / शिवं निःश्रेयसं श्रेयो, निर्वाणं ब्रह्मनिवृत्तिः // 6 // महोदयः सर्वदुःख-क्षयो निर्वाणमक्षरम् / मुक्तिर्मोक्षोऽपवर्गोऽथ, मुक्तिपर्यायवाचकाः॥७॥