________________ जैनेतिहासदर्शकसूक्तानि संतिजिणस्स, कणयमयपडिमा भणिया य सावच्छे इमा तुमे निच्चमञ्चणिज्जा। सीताजीनो रामने उत्तर निर्विण्णा कर्मणामी , दुःखावर्तप्रदायिनाम् / अहिष्यामि परिव्रज्यां, तेषामुच्छेदकारिणीम् // 7 // कुबेर लोकपाले दमयंतीना छेल्ला भवनुं स्वरुप महाविदेहमां विचरता श्री विमलनाथ स्वामी पासे जाणेल तेनु . वसुदेवने कथन सहेन्द्रेण वन्दनाय, गतस्यैतत्पुरा मया / महाविदेहे कथितं, विमलस्वामिनाऽर्हता // 8 // अस्मिन्नेव भवे ताव-दियं कनकवत्यहो / दशाह ! कर्माण्युन्मूल्य, निर्वाणं च गमिष्यति // 9 // खंधकसूरिनी आचार्यपदवी अभ्यस्तद्वादशाङ्गोऽथ, लब्धिरत्नैकरोहणः / आचार्यत्वे कृतः सर्व-विदा स्कन्दकसंयमी // 10 // - चंपानगरीनी पोळ उघाडनार सुभद्रासती- कथन महसरिसा इच्छिज्जा, जा होइ महासई सुशीलधरा / चालगिसंठियउदया, उग्घाडउ सा इमं पोलिम् // 11 // नेम-राजिमती अने कृष्णना भवो धण-धणवई सोहम्मे, चित्तगइ खयरो य रयणवई / / माहिदे अपराजिय-पीइमई आरणे तत्तो // 12 //