________________ सुभाषितसूक्तरत्नमाया जीभने शिखामण जिव्हे प्रमाणं जानीहि, भोजने वचने तथा / अतिमुक्तमतीवोक्तं, प्राणीनां मरणप्रदम् // 8 // __आ वस्तु तात्कालिक दुःखदायी अने परिणामे सुखकारी तैलाभ्यङ्गमृणच्छेद, कन्यावरणमेव च / एतानि सद्यो दुःखानि, परिणामे सुखानि च // 9 // भूढ माणस दरेकनी अवज्ञा करे छे विद्या-शील-वयोवृद्धान् , बुद्धिवृद्धांश्च भारत ? / धनाभिजातवृद्धांश्च, नित्यं मूढोऽवमन्यते // 10 // माता-पितादिनो तिरस्कार करनार पोताना सुकृतनोज तिरस्कार करे छे माता पिता कलादाता, भीतित्राता तथा प्रभुः (गुरुः)। येनैते न्यकृतास्तेन, सुकृतं न्यकृतं निजम् // 11 // स्वजातिनो त्याग करीने परजातिमां रक्त रहेनार विनाश पामे छे . स्वजाति ये परित्यज्य, परजातिषु ये रताः। ते नरा निधनं यान्ति, यथा राजा कुकर्दमः // 12 // नही आचरवा योग्य शिखामणो न चासीतासने भिन्ने, भिन्नपात्रं च वर्जयेत् / मुक्तकेशैर्न भोक्तव्य-मनग्नस्नानमाचरेत् // 13 // स्वप्तव्यं नैव नग्नेन, न चोच्छ्रितश्च संवसेत् / उच्छिष्टो न स्पृशेच्छीर्ष, सर्वप्राणाः तदाश्रयाः // 14 //