________________ 390 सुभाषितसूक्तरत्नमाला पूर्वकालनु प्रमाण पुव्वस्स य परिणाम, सरि खलु हुंति कोडिलक्खाउ / छप्पन्नं च सहसा, बोद्धबा वासकोडीणं // 66 // कालथकी पण क्षेत्र घणु सूक्ष्म छे खित्तं मुहुमं कालाओ, जेण अंगुलपएससेहीए। समयपएसवहारे, असंखउस्सप्पिणी हुँति / / 67 // मोक्षमा जनार भव्यज होय नैतद्वयं वदामो य-श्रव्यः सर्वोपि सिद्धयति / यस्तु सिद्धयति सोऽवश्यं, भव्य एदेति नो मतम् / / 68 / / - अल्पवहुत्व / बहवोऽविरता जीवा-स्तेभ्यः स्वल्पाः सुदृष्टयः / ततः स्वल्पतराः श्राद्धाः, साधवोऽल्पतरास्ततः // 69 // उत्सर्पिणीना छेल्ला तीर्थंकरला तीर्थनी काळमर्यादा आगमेस्सिणं चस्मतित्थयरस्स केवइयं कालं तित्थे अणु" सिज्जस्सइ ? गोयमा ! जावई एण उसभस्स अरहओ कोसलियस्स जिणपरियाए। श्री भगवतीसूत्र शतक 20 मु उद्देशो आठमो जिणपरियाए त्ति केवलिपर्यायः स च वर्षसहस्रन्युनं पूर्वलक्षम् / पुष्पवती स्त्रीओए सात दिवस देरासरमां न जq तह जिणभवणे गमणं, जिणपडिमाणच्चणं च सज्झायं। पुप्फवइइत्थियाणं, पडिसिद्धं जाव सत्तदिणं // 70 //