________________ बीजैनसिद्धांतलूलानि जत्थ जलं तत्थ वर्ण, जत्थ वर्ण तत्थ निच्छओ अग्गी / तेऊवाउसहगया, तसा य पच्चक्खया चेव // 37 // वनस्पतिकायमां जीवन लक्षण पतंति पुप्फंति फलं ददंति, कालं वियाणंति तहिं दियत्थे। जाइ य वुड्ढी य जरा य तेर्सि, कहं न जीवा उ हवंति ते उ॥३८॥ मग-कांगडु अने गळो काष्टनी योनि नाश पामती नथी ___ अविनष्टा योनिः स्यात् , गडूची-कङ्कटुक-मुद्गादीनाम्। तथाहि-गडूची शुष्कापि सती जलसेकात् तादात्म्यं भजन्ती दृश्यते एवं कङ्कटुकमुद्गादिरपि / नारकी देव संबंधी पंचसंग्रहनो मत सहसारंतियदेवा, नारयनेहेण जंति तइयभुवं / निजंति अच्चुयं जा, अच्चुयदेवेण इयरमुरा // 39 // नारकीना निकळेला जीवोने गुणप्राप्तिनी समजण तिसु तित्थं, चउसु केवलं, पंचमीए सामन्नं, छट्ठीए विरयाविरइ, सत्तमपुढवीए संमत्तं // मिथ्यादृष्टि श्रीजे-चोथे जाय. मिश्र पेले-चोथे जाय-पण ___ सम्यक्त्वी मिश्रे न जाय मिच्छत्ता संकंती, अविरुद्धा होइ सम्ममीसेसु / मीसाओ वा दोसु, सम्मा मिच्छ न उ मीसंती॥४०॥ __ आगम व्यवहारी 6 केवल-मणपज्जवनाणिणो अ, तत्तो अ ओहिनाणजिणा। चउदश-दश-नवपूवी, आगमववहारिणो धीरा // 41 // 25