________________ सुभाषितसूक्तरत्नमाला आदाने निक्लेवे, भासुस्सगे अ ठाणगमणाई / सव्वो पमत्तजोगो, समणस्स वि होइ आरंभो // 52 // नरकनुं स्थान प्रमाद प्रमादः परमद्वेषी, प्रमादः परमं विषम् / प्रमादो मुक्तिपूर्दस्युः, प्रमादो नरकायनम् // 53 // - आयु क्षणे क्षणे जाय छे माटे जागो आलस्यं नैव कर्तव्य-मायुर्याति क्षणे क्षणे / यामोदयां (2) न जानाति, कालस्य त्वरिता गतिः // 54 // रागहोसकसायेहिं, इंदियेहि य पंचहि / दुहा वा मोहणिज्जेण, अट्टा संसारिणो जीवा // 55 // "सर्वनिकृष्टो जीवस्य, दृष्ट उपयोग एष वीरेण // " 65 प्रमादत्यागंसूक्तानि आदित्यस्य गतागतैरहरहः संक्षीयते जीवितं, व्यापारैर्बहुकार्यभारगुरुभिः कालो न विज्ञायते / दृष्ट्वा जन्मजराविपत्तिमरणं त्रासश्च नोत्पद्यते,. पीत्वा मोहमयीं प्रमादमदिरामुन्मत्तभूतं जगत् // 1 // जानामि क्षणभङ्गुरं जगदिदं जानामि तुच्छं मुखं, जानामीन्द्रियवर्गमेतमखिलं स्वार्थैकनिष्ठं सदा / जानामि स्फुरिताचिरद्युतिचलं विस्फूर्जितं संपदां; नो जानामि तथाऽपि कः पुनरसौ मोहस्य हेतुर्मम // 2 //