________________ सम्बदनिसूक्तानि मिच्छत्तं उच्छिदिय, सम्मत्तारोवणं कुणइ नियकुलस्स / तेण सयलो वि वंसो, सिद्धिपुरीसंमुहं नीओ // 46 // देवो जिणिंदो जिणरायधम्मो, जिणिदधम्म मि ठिआ मुणिंदा। पाणप्पिए तिम्नि वि हुंति एए, तिलोअसारे खलु पंडिआणं // 47 // जिणभत्तनिवा इगारलक्खसोलसहस्स होहिंति / इगकोडिमित्तसासणपभावगा दुस्समसमयंमि // 48 // रागोऽङ्गनासंगमतोऽनुमेयो, द्वेषो द्विषदारणहेतिगम्यः। मोहः कुवृत्तागमदोषगम्यो, नो यस्य देवस्य स चैवमन् // 49 // यस्याऽस्ति देवो हृदि मोहजेता, गुरुश्च पञ्चेन्द्रियवैरिजैत्रः। धर्मच दुष्कर्मजयकतानः, स एव युद्धेऽपि जयं लभेत // 50 // भक्तिर्न यस्याऽर्हति सद्गुरौ च, जिनोक्तधर्मे च रुचिर्न काचित् / भवे भवे सर्वपराभवानां, सुदुःसहानां भवनं भवेत्सः // 51 //