________________ 32 | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य चित्रवाहन तथा कुंकुम महादेवी के पुत्र इम्मडी अळुवरस (730-65) के कार्यकाल में प्रभुसत्ता के साथ साथ संबंधों के बीच का सौहार्द भी.खत्म हुआ। चालुक्यों ने मनमुटाव के कारण, आळुपाओं का कदंब मंडल तथा पोंबुच्च भाग से हटा दिया। इस द्वेष ने एक दूसरे को तोड दिया और हताश आळुपा कांचिपुर के पल्लवों के सामंत बने। ___ तथापि, आलुवरसा द्वितीय के निधन ने शत्रुता को दफनाया और पुनः दोनों के मध्य मैत्री संबध निर्माण हुए। उसके पुत्रों, चित्रवाहन द्वितीय (765-800) और रणसागर (765-805) को पोंबुच्च तथा तुळुनाडु का प्रभारी बनाया गया। चालुक्य तथा राष्ट्रकूटों के रक्तरंजित युद्ध में दोनों भाई तथा चित्रवाहन के द्वितीय पुत्र श्वेतवाहन ने अपने प्राण गँवा दिए। जोर-जबरदस्ती से आळूप विजयी राष्ट्रकूटों के सामंत बने और गोविंदा तृतीय के शासनकाल में पोंबुजा को हमेशा के लिए दिया। उदयपुर (उद्यावर), मंगलापुर (मंगलूर), पट्टि पोंबुच्चपुर (होम्बुज, हुमचा) और बनवासी पूर्वी आळुपाओं तथा आळुपाओं के महत्वपूर्ण शहर थे। सांतरों और आळुपाओं तथा आळुपों और चालुक्यों के मध्य विवाह आदि प्रचलित थे। विद्यमान . स्मारक यह दर्शाता है कि पोंबुचा के जैन स्मारकों के पूर्व निर्माता आलूपा थे और इसके वैशिष्ट्य का श्रेय चित्रावाहन की पट्टमहिषी कुंकुम महादेवी को जाता है। ऐसा माना जाता है कि बोगार बसदी तथा होंबुजा में विद्यमान अंबिका की दो प्राचीन - प्रतिमाओं को बनवाने का कार्य आळुपाओं से ही किया गया था। / जीवन के उतार चढाव के मध्य आळुपाओं ने लगभग 1200 वर्षों के लंबे समय तक शासन किया। कभी स्वतंत्र रूप से और ज्यादातार अधिनस्थ रहकर संभवतः भारतीय इतिहास का यह सबसे अधिक लंबा काल रहा है। उन्होंने राजनीतिक मुकुट का सूत्रपात कदंबों से बहुत पहले से ही कर लिया था और कदंबों, गंगों, चालुक्यों, राष्ट्रकूटों, कलचुरियों, शणों तथा होयसळों का उत्थान-पतन भी देखा था। 4 आ) बाण वंश___ बाण, प्राचीन राजवंशों में से एक हैं, जिन्होंने कोलार जिले के कई भागों तुमकुर जिले का कुछ भाग और गूती और जम्मलमडगु क्षेत्र को समेटता तुरमरविषय आदि पर शासन किया। जो आंध्रदेश के अनंतपुर जिले से जुड़े हुए थे। एक बार तो उनका क्षेत्र कर्नूल जिले में श्रीपर्वत तक खींच गया था। उनके द्वारा शासित प्रदेश को एळुवरे-लक्ष नाडु अर्थात् साढे सात लाख का प्रदेश कहा जाता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org