________________ AMERASSSS N ETRANSMIS DESIRSIRAHA अध्याय चार NROKARTRICT सामंतशाही प्रस्तावना शाही साम्राज्यों का सामंतों तथा छोटे राजवंशों पर अपना स्वामित्व जताने की प्रवृति का सावधानी से परिक्षण करना आवश्यक है। सच है कि चालुक्यों का शासनकाल भारतीय इतिहास के वृतांत में अत्यंत वैशिष्ट्यपूर्ण रहा है और यह भी उतना ही सत्य है कि उनके मामतों की भूमिका का भी विशेष उल्लेख होना भी जरूरी है। राजा का प्रभुत्व तो होता था पर वे शासन नहीं किया करते थे। अत: उनके अधिकृत मातहती सामंतों को विभिन्न विभागों का प्रभारी बना दिया जाता था ताकि वे उस विशिष्ट क्षेत्र को नियंत्रित रखकर शासन करें। प्रांतीय राजपाल राजाओं का प्रतिनिधित्व किया करते थे। अत: उनके पास शासकीय शक्ति हुआ करती थी। सामंतशाही राजाओं की सम्मति होने के कारण सारे सामंत राजा की मर्जी से ही चुने जाते थे। महामंडलेश्वर और महासामंत समान ही होते थे, जो राजाओं को विशिष्ट प्रदेश तथा साम्राज्य के अधिकारियों की श्रेणीबद्धता में आने वाले महामंडलेश्वर इस शब्द का यही अर्थबोध होता है कि वह व्यक्ति मंडलों की देखभाल करनेवाला अनुभवी प्रमुख सामंत होता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org