________________ ग्लानी से बैठा कमठ, विथिका जैन गुफा, ऐहोळे (बाबुबली तथा अर्हत पार्श्व दोनों के शिल्प बादामी से एक या दो दशक पूर्व के हैं। 16. द्वार शाखा तथा उत्तरांग, मुख्य गर्भगृह का दृश्य, जैन गुफा, छठी सदी का अंतिम दशक. मिथुन, छत, जैन गुफा, ऐहोळे 18. मंडप की जमीन तथा छत के मध्य में बनी अप्रतिम कलाकारी, जैन गुफा, ऐहोळे 19. (जिन के शिश पर) एक विशाल अधोमुखी कमल की कलि समेत छत्र त्रय तथा बायीं ओर मुकुट युक्त यक्ष, बादामी. 20. आसन्सथ जिन के दायीं ओर चाम्रधारी यक्ष,जिसने एक भारी चामर धारण किया है, ऐहोळे. 21. गर्भगृह में स्थित एकअद्वितीय जिन फलक तथा शासनदेवता धरणेन्द्र का प्राचीन विद्यमान शिल्प जिसके सिर पर एक सुंदर पाँच फनोंवाला छत्र है, छठी सदी, जैन गुफा, ऐहोळे. 22. द्वारपाल, जैन गुफा, ऐहोळे 23. सिंहाकृति, शिल्पगत स्तंभ कला, ऐहोळे 24. मिथुन, जैन गुफा, ऐहोळे. 25. स्तंभ का विस्तारपूर्ण विवरण, जैन गुफा, आईडोले परिकर का खंडित शिल्प, ऐहोळे, म्युजियम. 27. उचित अनुपातयुक्त, कमल में आसन्सथ जिन का धड। कंधे पर बने ट्रेसंस यह प्रतिमा ऋषभ (आदिनाथ) की होने क संकेत देती है। ऐहोळे, म्युजियम. जिन प्रतिमा की एक अन्य भग्न प्रतिमा, आहोले म्युजियम 29. और एक जिन की विकृत प्रतिमा, ऐहोळे म्युजियम. 30. . ऐहोळे जिनेन्द्रभवन, मेगुडी के परिसर में स्थित एक प्राचीन विद्यमान स्वतंत्र निषिधि. 31. भग्न जिन जिसकी छाति पर श्रीवस्त का चिह्न है, भाल्कि, (बीदर, जिला) 32. श्रीवाह यक्ष का धड़। संभवतः सबसे प्राचीन किंत विद्यमान शिल्प, 7 वीं सदी,गधि केशवार, (गुलबर्गा जिला) 33. प्राचीन विद्यमान पद्मावतीदेवी का शिल्प, छठी सदी, गुंडापुर, बनवासी। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org