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________________ अध्याय आठ 500 शिला निर्मित जिनमंदिर ToTUREDERAR चालुक्यों के उत्तराधिकारी आदिकदंबों तथा पूर्वी गंगो के काल में चाहे लगभग पचास मंदिर बनवाए गए थे फिर भी पत्थर से मंदिरों को बनवाने की कला अभी भी विकसित तथा स्थिरता की दहलीज पर थी। पूर्णविकसित मंदिर शिल्प को पूर्ण करने की कुशलता का वैशिष्ट्य, जिसे बार बार तोडा और बनवाया गया, पूर्वी चालुक्यों को जाता है। __ मेगुडी के जिनेन्द्र भवन को सबसे प्राचीन विद्यमान शिल्पगत मंदिर कहा जाता है। (635) राज्य के अन्य स्थानों में इससे भी पूर्व की बस्तियाँ हैं। इनमें पुलिगेरे की शंख जिनालय तथा परुलूरु का शांतिश्वर चैतालय विशेष प्रसिद्ध है। क्रमानुसार शांतिश्वर चैतालय शंखबसदी के काफी नज़दिक हो सकता था। हाल ही में पट्टदकल्ल में किए गए उत्खनन में एक और चालुक्य मंदिर प्रकाश में आया है, जो एक जिनालय है, जिसका समय ई. स. 550 है। __ आदिकदंबों ने कई जैन मंदिरों का निर्माण किया और उन्हों अच्छी तरह से वैभवसंपन्न भी बनाया। किंतु, 24 तीर्थंकरों में से ऋषभ के नाम का उल्लेख राजा काकुस्थवर्म को छोडकर अन्य किसी भी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004380
Book TitleBahubali tatha Badami Chalukya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagarajaiah Hampa, Pratibha Mudaliyar
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan tatha Anusandhan Sanstha
Publication Year2014
Total Pages236
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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