________________ 94 | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य ऐहोळे? बादामी गुफाओं का प्रभाव __ ऐहोळे-बादामी की गुफाओं की विषयवस्तु तथा नक्काशी ने पल्लव, पांण तथा तमिलनाडु के चोळों तथा राष्ट्रकूटों को प्रेरित किया। आठवीं सदी में अनेमलाई के समणर कोइल के बहुत बडे शिलाखंड पर खुदवाई गई जिनपार्श्व की पाँच फनों वाली विशाल प्रतिमा आइहोले-बादामी के शिल्प की ही नकल है। . कळगमलाइ तथा ऐहोळे बादामी की प्रतिमाओं की सादृश्यता पर विचार करना जरुरी है- बादामी की प्रतिमाएं सुंदर तथा शक्तिशाली सर्प के फन तथा कुंडली में विराजमान हैं और कलगुमलई के पाषाण में बनी प्रतिमा में घरणेन्द्र पार्श्व पीछे की ओर उसके ऊपर उठकर उसकी रक्षा करता हुआ दिखाई पडता है। . __ ऐहोळे बादामी में स्थित पार्श्व की प्रतिमा की तुलना जब कळगुमलाइ की प्रतिमा से करते हैं तो वह बहुत ही साधारण सी प्रतीत होती है। पांण्ड्य के पुत्र की कळगुमलाइ में स्थित प्रतिमा अपने तरह की अनोखी प्रतिमा है जो शिल्पकार की सौंदर्य-दृष्टि को ही प्रतिबिंबित करती है। संभवतः यह उत्कृष्ट प्रतिमा जिसमें धरणेन्द्र को मानवीय रूप में चित्रित किया गया, जिसमें उसका अपना फन जिनपार्श्व के सिर पर अत्यंत भव्य-दिव्यता से छत्र-स्वरूप है, जो एकदम बेजोड है। : . विस्तृत रूप से उत्खननित तथा आभूषणों से युक्त खुदी हुई ये दोनों गुफाएँ, जिसे जीवित चट्टान से निर्माण किया गया, बहुत ही विस्मयकारी है। एलोरा की जैन गुफाएँ पाषाणों में बनी शिल्पकला की भव्यता से श्रेष्ठ है। इन दोनों जैन गुफाओं का अंदर वाला भाग एलोरा की जैन गुफाओं की तुरंत याद दिलाता है। जो क्रमानुसार पहले की है, किंतु सौंदर्य की दृष्टि से उच्चतम, विलासपूर्ण तथा विशाल है। जैन शिल्पकला अच्छी तरह से एलोरा की जैन गुफाओं में विकसित हुई, जहाँ राष्ट्रकूटों के युगीन शिल्पकारों ने चट्टानों को बलशाली व्यक्तियों की तरह खोदा और जौहरी की तरह उसे तराशा। अत्यंत कुशल शिल्पकारों के हाथों में पवित्र प्रार्थना मंदिरों का आकार पाने के लिए पर्वत भी भव्य-दिव्य स्मारकों में पिघल गए और शिल्पकला का एक बेजोड़ संग्रहालय निर्माण हुआ। ___ राष्ट्रकुट राजाओं द्वारा, एलोरा के निग्रंथ की गुफाओं के दालानों में नौवीं सदी में बडे बडे पाषाणों को काटकर बनवाए गए शिल्प बादामी तथा ऐहोळे के निग्रंथ की गुफाओं में स्थित ध्यानस्थ अर्हत पार्श्व तथा बाहुबलि की प्रतिमाओं के समतुल्य है। ये दक्षिण के प्रारंभिक संदर्भ है। एलोरा में बाहुबलि के कुल बारह शिल्प है और सभी के सभी ऐहोळे तथा बादामी से सूत्र लेकर बगल में ही खुदवाए गए हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org