________________ A अपनी बात लगभग दो वर्ष पहले प्रो. ललिताम्बा जी का फोन आया था। उन्होंने कहा था कि आदरणीय प्रो. नागराजय्य (हंपना) जी चाहते हैं कि मैं उनकी अंग्रेजी पुस्तक "Bahubali and Badami Chalukyas" का हिंदी अनुवाद की निश्चित ही मेरे लिए यह अभिमान की बात थी कि कर्नाटक के एक प्रख्यात लेखक चाहते हैं कि मैं उनकी पुस्तक का अनुवाद करूाँ किंतु मैंने अबतक केवल साहित्य की पुस्तकों का अनुवाद किया था। इसलिए हाँ कहने में मुझे हिचकिचाहट हो रही थी। मैंने अपनी बात प्रो. नागराजय्य (हंपना) जी से कही। पर उन्होंने यही कहा कि इस पुस्तक में इतिहास, साहित्य तथा भाषा विज्ञान सबका समावेश है। फिर भी मैंने चाहा कि पहले पुस्तक देखू और हंपना जी ने अपनी पुत्री के हाथों पुस्तक भेज दी और मैंने पुस्तक के कुछ पन्ने पढ़ डाले और कुछ पन्नों का अनुवाद भी किया। मैं स्वयं अनुवाद करते समय खुश हो रही थी। प्रारंभ के दो अध्यायों का अनुवाद कर हंपना जी को भेज दिया। उनको अनुवाद बहुत अच्छा लगा। उक्त पुस्तक का अनुवाद करते समय कठिनाइयाँ तो आयीं पर उसका निवारण भी हुआ। कई बार हंपना जी से फोन पर बात कर या फिर कभी उनसे मिलकर मैंने अपनी कठिनाईयाँ बताईं उन्होंने उनका निवारण भी किया। इतना ही नहीं अंतिम चरण में तो वे मेरे घर आए और हमने सिलसिलेवार अनुवाद को देखा और उसे अंतिम Jain Eduain International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org