________________ धार्मिक-वहीवट विचार तो कोई हानि नहीं / इस प्रकारके आयोजनोंकी रकम द्वारा साधर्मिक भक्ति, प्रभावना, मंडप रचना, पूजाकी सामग्री आदिका खर्च किया जाय / इसमें कोई हर्ज नहीं / ऐसे अनुष्ठानोंसे शासन-प्रभावना, देवद्रव्यमें अच्छी-खासी बढौतरी और अनेक जीवोंको सम्यग्दर्शनादि प्राप्त होनेके लाभ होते हैं / हालमें अंजनशलाका, प्रतिष्ठा महोत्सव या अन्य किसी महोत्सव निमित्त सिद्धचक्र पूजन, शान्ति-स्नात्र आदिके आदेश, नकरा या उछामनीके साथ दिये जाते हैं और उसमेंसे सिद्धचक्रपूजन या शान्ति- स्नात्रका प्रभावनाके साथ खर्च किया जाता है / इसका कारण यह है कि आदेश देते समय प्रभावनाके साथ पूजा आदिका खर्च अभिप्रेत होता है / संभव हो तो मूलनायक भगवंतकी पूजादिकी या अन्य महत्त्वके लाभके लिए बोलियाँ भी बोली जायँ तो उनके द्वारा देवद्रव्यमें वृद्धि होनेसे सोने में सुगंध जैसा होगा; लेकिन बोली बुलानेका मरजियात होना चाहिए / उपरान्त, बालजीव ऐसे अष्ठानोंमें संमिलित होकर अष्टप्रकारी पूजाके जाणकार होंगे, प्रभुभक्तिकी बाते सुनकर परमात्माके प्रति सद्भावनायुक्त बनेंगे / कई तो सदाके लिए अष्टप्रकारी पूजाके आग्रही बन जायेंगे / इस प्रकार भारी मात्रामें धर्मवृद्धि और शासन प्रभावनामें बढावा होगा / क्योंकि हर बातकी रूपयोंके साथ तुलना करनी नहीं चाहिए। प्रश्न :- (34) देरासरमें प्रतिदिन बुलाये जाते अष्टप्रकारी पूजा के चढावेकी रकम किस खातेमें जमा की जाय ? उत्तर :- इस रकमको देवद्रव्यके खातेमें- कल्पित देवद्रव्यके खातेमेंजमा की जाय / लेकिन बारह मासके केसर, पूजारी आदिके खर्चके निर्वाहके लिए जो फंड या चढावा हो, उसे भी देवद्रव्य खातेमें ही जमा किया जाय; लेकिन पूजा देवद्रव्यके विभागमें जमा हो / प्रश्न :- (35) पूजामें शुद्ध रेशमी वस्त्रोंका उपयोग किया जाता है और शुद्ध कस्तूरी आदिका उपयोग किया जाता है, वे प्रायः हिंसाजनित होते हैं / आजकल उसकी जोरोंकी चर्चा है, तो क्या किया जाय ? उत्तर :- भूतकालमें ये सब शुद्ध वस्तु पूजाके उपयोगमें लायी जाती थीं; लेकिन उस जमानेमें वे हिंसाजनित न थी / साहजिक रूममें मृत मृगके शरीरसे कस्तूरी प्राप्त होती थी / कोशेटेमेंसे जीव उसे चीरकर बाहर निकल