________________ 71 चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी देरासरके सुगंधित देव-निर्मित स्वस्तिकके चावलको शुभंकरसेठने खीर बनानेके लिए उठाये / उसके बदलेमें अपने बाटवाके तीन गुने चावल उन्होंने भंडारमें डाले / फिर भी वे शुद्ध नहीं हो पाये। उन चावलोंसे पकी खीर खानेके कारण शुभंकरसेठ अपने धंधे-व्यवसायमें बरबाद हो गया / जिस साधुको वह खीर वहोरायी, वह साधु भी संयमजीवनसे शिथिल हुआ / बादमें गुरुने वमन-विरेचन आदि उपायोंसे उसके पेटमेंसे उन चावलोंको निकलवा दिये और योग्य प्रायश्चित्त द्वारा संयमके मार्ग पर ला दिया / इन दुष्परिणामोंको दृष्टिगोचर करते हुए देवद्रव्यकी रकम या उसके सूदका जरा भी दुरुपयोग किया .न जाय, संचालको ऐसा होने न जो लोग उछामनीकी बोली बोलते हैं, उन्हें ध्यान देना चाहिए कि उछामनीकी रकम, जल्दसे जल्द जमा कर देनी चाहिए / यदि संघने मुद्दत (समयमर्यादा) निश्चित की हो, उससे पहले ही रकम जमा कर देनी चाहिए / अगर. समयमर्यादा बीत जानेके बाद जमा कराये तो सूदके साथ यथाशीघ्र जमा करा देनी चाहिए / प्रतिकूल परिस्थितिमें सूद भर न पाये तो मूडी जमा कर, सूद जमा करनेकी बातको भविष्य पर रखनी चाहिए / स्त्रियोंके गहने बेचकर भी देवद्रव्यकी रकम चूकता करनी ही चाहिए / खाने पीनेमें घी आदिका उपयोग बंद कर रकम बचाकर भी देवद्रव्यकी रकम जमा करा दें / ... प्रश्न :- (28) घरमें बहनोंको एम. सी.के कारण आशातनाका भयस्थान बना रहने पर, घरदेरासर बनाया जाय ? उत्तर :- व्यवहारमें तो प्रत्येक स्थान पर भय बना ही रहता है / खानेमें कब्जका, धंधेमें नुकसानका, प्रवासमें दुर्घटनाका आदि अनेक भय कहाँ बने नहीं रहते ? फिर भी उस भयको पारकर प्रत्येक मनुष्य साहस करता है ? __कब्ज न हो उसकी पूरी सावधानीके साथ सभी भोजन करते हैं। इस भयसे कभी कोई भोजन करना छोड नहीं देता / कपडोंमें जूका होनेका भय होने पर भी सावधानीके साथ कपडे पहने जाते हैं / चूकाके भयसे कोई वस्त्रोंका त्याग नहीं करता /