________________ धार्मिक-वहीवट विचार और लाखों रूपयोंके गहने चले जाएँ, तो परिणाममें बड़ा भारी नुकसान होगा / प्रश्न : (13) देरासरमें समर्पित बादाम आदिके विक्रय बाद, उसी बादामको उसी दूकानसे खरीदकर (अनजानेमें ) देरासरमें अर्पित करनेमें दोष होता है ? उत्तर : अनजाने में ऐसा होने पर दोष नहीं लगता / उपरान्त,. बादाम समर्पित करते समय जो भावोल्लास होगा, वह मुनाफा ज्यादा होगा / ___लेकिन ऐसा न हो, उसके लिए ऐसे समर्पित द्रव्य दूरके नगरोंमें -अजैनोंकी आबादीवाली दूकानोंमें- बेचने चाहिए / यथाशक्ति सावधानी रखें, यह हमारा कर्तव्य है .... अन्तमें तो भवितव्यता ही बलवती प्रश्न : (14) जिनकी आर्थिक स्थिति गिरी हुई हो, वे देरासरके केसरादिसे पूजा करें ? उत्तर : अवश्य, श्रावकोंके जीवनमें सम्यक्त्वके कार्यके स्थिरीकरणके लिए देरासरके केसरादि द्रव्योंकी व्यवस्था, स्थानिक जैनों एवं बाहरगाँवसे आये पूजासामग्रीके अभाववाले जैनों आदिके लिए ही होती है / ___ कल्पित देवद्रव्य या जिनभक्ति-साधारण लिए वह द्रव्य है, जिसका उपयोग इसमें किया जाता है / अत: देवद्रव्यसे या परद्रव्यसे पूजा न सकता / इसमें परिस्थिति निमित्त है / अथवा धनमूर्छा भी एककारण बन सकती है / ऐसी धर्मकीक्रिया करनेवाला पापबंध करेगा, ऐसा कहना उचित नहीं / धनमूर्छा उतारकर धनवान श्रावक स्वद्रव्यसे पूजा करे तो अवश्य वह विशिष्ट पुण्यप्राप्ति करता है, उसमें उसका भावोल्लास बढे, उसका भी उसे लाभ प्राप्त होता है / किन्तु ऐसा तो नहीं कह सकते कि, परद्रव्य या देवद्रव्यसे पूजा करनेवाले पापभागी होते हैं / ऐसा भी एकान्त हठाग्रह न किया जाय कि स्वद्रव्यसे ही पूजाकी जाय / परद्रव्य या देवद्रव्यसे पूजा करनेवालेको भी सम्यक्त्वकी निर्मलता आदि अनेक गुणोंका लाभ उसके उल्लासादिके प्रमाणमें मिलते हैं / शिखरजी आदिकी तीर्थयात्रा, उपधान तप, छ'री पालित संघ आदिके