________________ चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी रकमका उपयोग सात क्षेत्रोंके साधारणमें कभी नहीं किया जा सकता / ये एक व्यवस्था है / कोई पुण्यात्मा बारह मासके केसरादि पदार्थ स्वयं ही दे दें अथवा पूजारी आदिको वेतन स्वयं (स्वद्रव्यसे) दे दें तो वह अत्यंत उत्तम माना जायेगा / इससे उस धनिक व्यक्तिको धनमुर्छा उतारनेका विशिष्ट लाभ प्राप्त होगा / उसका वर्धमान भावोल्लास विपुल पुण्यबंधका निमित्त बनेगा / कई जगह बारह मासके केसरादि चढावे घोषित किये जाते हैं / इस रकमको 'पूजादेवद्रव्य' कही जायेगी / यह पद्धति अच्छी है / ___ यद्यपि भूतकालमें गुरखे थे, लेकिन पूजारी क्वचित् ही थे / आज तो गुरखेका काम भी प्रायः पूजारी लोग ही निभाते हैं / भूतकालमें पूजानिमित्त सारा कामकाज तो श्रावक स्वयं कर लेते थे / और श्रावकाएँ, काजो निकालनेसे लेकर अंग लूछना, कटोरियाँ माँजना, आरती तैयार करना, रुईकी दियाबत्तियाँ बनाना आदि सारा काम करतीं। ___आज ऐसा काम करनेकी अनुकूलता श्रावक वर्गमें बहुधा दीख नहीं पड़ती / इन कामोंके लिए श्रावक लोग पूजारी रखने लगे हैं / भगवानसे संबद्ध सभी क्रियाओंको स्वयं करने से आशातनाका निवारण हो और परमात्माके प्रति भक्ति और बहुमान हो / अतः वास्तवमें तो श्रावकोंको ये सारे कार्य स्वयं ही करने चाहिए। प्रश्न : (9) देवद्रव्यका वेतन लेनेवाले पूजारीके पास साधु-साध्वीका काम कराया जाय ? ट्रस्टी अपने शाक-तरकारी लाना जैसे काम करा सकते उत्तर : कदापि नहीं / भारी दोष लगेगा / इस दोषमेंसे बचनेके लिए जो वेतन दिया जाय, उसके पचास प्रतिशत साफ साधारणका दिया जाय / जिससे साधुसाध्वीको देवद्रव्य संबंधित दोष न हो; लेकिन ऐसा करने पर भी गृहस्थी-ट्रस्टीलोग उसके पास निजी काम तो नहीं करा सकते / साधारणका द्रव्य वह धर्मादा द्रव्य है / उसका उपयोग श्रीमंत कैसे कर सकते हैं ? ____ प्रश्न : (10) पूजारी और मुनीमलोग देरासरके कर्ताहर्ता (दादा) बन पाये, ऐसी परिस्थिति खड़ी हो रही है, उसके बारेमें क्या किया जाय ? - उत्तर : यह बात बडे अंशमें सही है / हालमें ही एक जगह पर ट्रस्टीने पूजारीके दुराचरणके निमित्त उपालंभ दिया तो, वह, इतना आग-बबूला हो गया कि आरतीके लिए शामको मंदिर खोलकर, उसने एक जिनप्रतिमा पर डण्डा फटकारकर उसे चूर