________________ 47 चौदह क्षेत्रोंका विवरण भी हो सकती है / भाव अनुकंपा लक्षके साथ की जानेवाली द्रव्य अनुकंपा निःशंक श्रेष्ठ मानी जाती है / फिर भी, अकेली द्रव्यानुकंपा ही हो पाती हों तो औचित्यनिमित्त उसे भी करें / जिनशासनकी अवहेलनाके निवारणार्थ भी कभी कभी द्रव्य अनुकंपा करनी पडती है / फिर भी महा-समारंभको उत्पन्न करनेवाली अनुकंपा तो 'औचित्य से भी हो नहीं सकती / अनुकंपाके कार्यों के लिए जो रकम प्राप्त हो, उसे इस खातेमें जमा की जाय / दीनदुःखी लोगोंके लिए इस रकमका उपयोग किया जाय / उनके दुःख दूर किया जायँ / संभव हो तो उनके व्यसनादि दोषोंको भी दूर करानेका लाभ लें / उन्हें धार्मिक भी बनाएँ। ऐसी दया तब न की जाय, कि जिसके परिणाम स्वरूप भारी निर्दयता उत्पन्न होती हो, संस्कृतिका सर्वनाश होता हो, अनेकोंको हानि पहुँचती हो / अतः अनुकंपाका कार्य दुधारी तलवार जैसा है / कभी अनुकंपाकी बुद्धिसे अनुकंपाके नाम पर गर्भपातादि हिंसक प्रवृत्तिओंका पोषण किया जाय तो बड़े कर्मबंध होनेकी संभावना उपस्थित होती है / अस्तु / ___ वर्तमान समयमें धार्मिकताके साथ मानवताको (और राष्ट्रीयताको) भी प्रशिक्षित करनेकी आवश्यकता है / प्रत्येक मानवतावादी धार्मिकतापूर्ण होना चाहिए / प्रत्येक धार्मिक मानवतासे भरापूरा होना चाहिए; नहीं तो भरबाजारमें उसकी धार्मिकताको निन्दा हुए बिना नहीं रहेती / ___ 'कल्पसूत्र सुबोधिका की टीकामें कहा है कि "धर्म तो नदीतट पर उत्पन्न पौधे जैसा है / यदी नदीमें अनुकंपारुपी जल ही सूख गया हो तो, वे पौधे कहां तक टिके रहेंगे?" श्रमण भगवान महावीरदेवकी जैसी करुणाका सभीको स्पर्श होना चाहिए / उन्होंने गरीब विप्रको कैसा वस्त्रदान किया था और संगमदेवको कैसा अश्रुदान किया था ? _ 'अनुकंपा यह धर्म नहीं' - ऐसे भ्रममें धर्मी लोग फँस न जायें, उसके लिए प्रत्येक तारक तीर्थंकरदेवके आत्मा, दीक्षाग्रहण करने से पूर्व एक वर्ष तक रोज अपार दान, दीनदुःखियोंको करते हैं /