________________ चौदह क्षेत्रोंका विवरण 45 - - अनुकंपा खाता (13) दीन, दुःखी अजैन लोगोंकी द्रव्यदया या भावदया करनेके लिए, जो रकम दान रूपमें प्राप्त हो, उसका उपयोग इस खातेमें किया जाय / अनुकंपाकी इस रकमको, उसके नीचेके जीवदयाके खातेमें उपयोगमें ली जाय, परन्तु अन्यत्र कहीं भी उपरके किसी खातेमें ली न जाय / जैन साधर्मिक, भक्तिके पात्र कहे जाते हैं / जबकि अजैन अनुकंपाके पात्र कहे जाते हैं / भक्तिके पात्र जीवकी अनुकंपा की न जाय, अनुकंपाके पात्र जीवकी, भक्ति की न जाय / ___अजैन पंडितों आदिकी अनुकंपा की न जाय, भक्ति भी न हो, परंतु औचित्य किया जाय, वह यथायोग्य किया जाय, पुरस्कार भी दिया जाय / प्रत्येक स्थान पर शुभ अनुबंधका विचार करे / यदि उसमें समावेश होता हो तभी अनुकंपा या भक्ति करनी चाहिए / अन्यथा विवश होकर औचित्यपूर्वक काम निपटाना चाहिए / वर्तमान अस्पताल और स्कूल, तन-मनको बरबाद करनेवाले हैं। वहाँ गर्भाधान और गर्भपात भी होते हैं / वहाँ विकृतियाँका-अण्डे, मछलियोंके प्रोटिन, विटामिनों आदि-शिक्षण दिया जाता है / उनका बाजार तैयार किया जाता है / वहाँ धर्मका तो स्थान ही नहीं / दीनदुःखी अजैनोंके प्रति करुणा बताना वह अनुकंपा है / जैन धर्मने अनुकंपा-दानका कहीं निषेध नहीं किया / मरणासन्न कसाईकी भी यदी संभव हो तो अनुकंपा करें, जीवित होकर वह पशुओंकी कत्ल करेगा, अत: मरने दो, ऐसी कल्पना तक जैन नहीं कर सकता ।उसे जीवीत रखकर-उपकारके भार नीचे दबनेके बाद उस व्यवसायको छोडने के लिए समझा सकते हैं। . वर्तमानकालमें मानवसर्जित गरीबी बडी मात्रामें फैली हुई है / आसमान फट पड़ा है / कितनोंके प्रति अनुकंपा करेंगें ? एसा न सोचें, डूबते पचास आदमियोंमेंसे, तैराक जितनोंको बचा पाये उतना लाभ ही है, सभीको तो बचा नहीं पाते / अनुकंपा दूसरेको बचाने की अपेक्षा अपने 'करुणा' नामक गुणको बचानेके लिए करनी है / एक स्थान पर भी ऐसी करूणा की जायेगी तो विकसित वह गुण गर्भपात, . लग्नविच्छेद, नौकरोंका शोषण, माता-पिता को त्रास आदि दोषोंका सेवन होनेसे बचा पायेगा।