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________________ धार्मिक-वहीवट विचार स्थिति अतिशय गिरी हुई हो, उनकी साधर्मिक भक्ति आयंबिल खाते के अंदर की जा सकती है / आखिरमें बची-खुची रसोईमें थोडा बघार (छोंक) आदि कर, रोटि पर घी चुपडकर भी उनकी भक्ति की जा सकती है / इस प्रकार जीवनमें उपर उठकर करोडपति बने एक सज्जन, अपना अधिकधिकदान भारतभरके आयंबिल खातेमें और ओळियोंके आयंबिलके अनुष्ठानमें आजीवन देते थे / ___आयंबिल खातेको भेंटके रूपमें अथवा तिथि योजनासे दान प्राप्त होता है / उस रकमका उपयोग, आयंबिल खातेके मकानके निर्माणमें या जैनोंको आयंबिल करानेमें, उनके नौकरोंको वेतन देनेमें किया जाय / ' ___आयंबिल खातेके एक मात्र संकल्पसे प्राप्त रकमका उपयोग, अन्य किसी खातेके काममें नहीं किया जा सकता / यदि रकममें वृद्धि होती रहे तो अन्य स्थल पर चलते आयंबिल खातोंमें दे देनी चाहिए। .. कालकृत खाता (11) अक्षयतृतीया, पौषदशमी, संवत्सरी आदिके समय, तत्तत्समयानुसार पारणा आदि हो, उसके निमित्त प्राप्त दान या चढ़ावेकी रकम, इस खातेमें जमा हो / दाताके दानके उद्देश्यसे विरुद्ध कोई कार्य किया न जाय / ___ संभव हो तो ऐसी तिथियोंके दान को कायमी 'के रूपमें स्वीकारनेके बजाय, प्रतिवर्ष स्वीकार किया जाय तो उचित होगा / इससे बढ़ती हुई महँगाई के साथ मुकाबला किया जा सकें / कायमी बडी-भारी रकम बैंकमें रखनेसे उस रकमका हिंसादि कार्यो में होनेवाले घातक-विनाशक उपयोगको टाल न सके / जहाँ शक्य हो वहाँ हर जगह कायमी तिथि योजना टालनेकी कोशिष करें / ज्ञानपंचमी, पौषदसमी, अक्षयतृतीया, चतुर्दशीका पौषध, संवत्सरी पर्व आदि दिवसोंको (कालको) ध्यानमें रखकर, उसके पारणे, मिठाई का भार, प्रभावना, आंगी, पूजा आदिके लिए जिस रकमका दान मिले, या तिथिका अंकन किया जाय, उस रकमको इस खातेमें जमा ली जाय / दाता के उद्देश अनुसार उस रकमका उपयोग इसी खातेमें किया जाय, अन्यत्र कहीं नहीं / यदि एक-एक अलग वर्षकी तिथिके लिए ही रकम ली जाय तो बैंकमें कायमके लिए रकम जमाकर, उसके द्वारा हिंसक कार्य होनेके बड़े भारी दोष लगनेसे बचा जा सकता है / कायमी तिथिका दान लेनेसे इस दोषके भागी अवश्य बनते हैं / इस बीतको गौरसे सोच लें /
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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