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________________ धार्मिक-वहीवट विचार संस्कार एवं उच्चकक्षाके विशिष्ट अध्ययनके लिए साधु भगवंतोके पाससे भी शिक्षा ली जाती थी। अब वह बात गयीगुजरी बन गयी, इसी लिए पाठशालाएँ चालू हुई हैं / धार्मिक शिक्षक रूपमें व्यवसाय करनेके लिए, बहुत कम लोग तत्पर होते हैं / अतः ऐसा मालूम होता है कि दस सालके बाद, यह नैया डूब जाय तो कोई आश्चर्य न होगा ।इसी लिए तपोवनोंका आयोजन किया गया है / वहाँ धार्मिक शिक्षा एवं उत्तम संस्कारोंका सिंचन किया जा रहा है / लेकिन इसके संस्करणके लिए वालीदोंको विशेष रुचि न होने के कारण, तपोवनोंमें व्यावहारिक शिक्षण और अन्य कतिपय खेलकूद आदिके आकर्षण रखनेकी मजबूरी आ पड़ी है / जिससे बडी तादादमें बच्चे प्रवेश के लिए आ धमकते हैं / जिससे भावि पीढीको धार्मिक शिक्षा और संस्कार देने की महेच्छा शतशः पूर्ण हो रही है। ___पाठशालाके मकानके लिए प्राप्त दान, बच्चोंको प्रभावना द्वारा पढ़नेमें ज्यादा उतेजित करने के लिए प्राप्त रकम आदि पाठशाला खातेमें जमा हो / उसके निभावके लिए 360 तिथियोंकी योजना बनायी जा सकती है। प्रभावनाके जोरदार आकर्षणके सिवा पाठशालाएँ चल नहीं सकतीं / इसमें शिक्षकोंका भी गौरवपूर्ण बहुमान एव भारी वेतन-मंहगाई भत्थे के साथ सतत बढते हुए वेतन-का भी समावेश हो जाता है / यह अत्यंत आवश्यक है / बलवत्तर प्रभावना-रूपये स्वरूपमें, तीर्थादिकी यात्राके प्रवास स्वरूपमें, वस्तुओंकी भेंट रूपमें, यदि कुछ दिया जाय तो, टी.वी., वीडियो और स्कूल के लेसन-ट्यूशनके होमवर्ककी भी ऐसीतैसी कर बच्चे पाठशालामें पढनेके घंस आते ___ अन्यत्र भारी रकम खर्चनेके बदले इस क्षेत्रमें इसके निमित्त बड़ी रकमका दान करते रहनेके लिए सभी श्रीमंतोसे मेरी नम्र प्रार्थना है / पाठशाला खातेमें प्राप्त रकमका उपयोग पाठशालाके मकानमें, पुस्तकोंकी खरीदीमें, पंडितजीके वेतनमें, प्रभावनामें किया जा सकता है। पाठशालामें हमेशाके लिए बच्चे आते रहे, उसके लिए मध्यम वर्गके लोगोंको आकृष्ट करे, ऐसी योजना है / पढते हुए विद्यार्थियोंको बारहमासी नोट, कवर, बोलपेन, कलर बोक्ष, कंपास इत्यादि चीजोंका मुफ्त वितरण किया जाय / इससे भी कई बच्चे पाठशालामें घुसते रहेंगे और सम्यग्ज्ञान प्राप्त करेंगे।
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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