________________ चौदह क्षेत्रोंका विवरण 39 पिछवाडेमें खुली छोड़ दी जाय, जो खुले वाडेके रूपमें उपयोगमें ली जा सके / वाडे रेत न बिछाई जाय, जिससे वहाँ जीवोंका उपद्रव हो न सके / मातरा परठनेकी जगहमें आठ-दस फूट गहरा गड्ढा बनाया जाय, जिसको ईंट-माटी-कोयला इत्यादिसे भर कर उपर रेती बछायी जाय, इससे 6' x 6' की छोटी जगहमें भी एकसाथ बीस बालटी जितना पानी आसानी से - जयनापूर्वक परठ सके / चौमासेमें कई न हो, घास उग न पाये, उसके लिए पहले से सावधानीपूर्वक बरते / दक्षिणपश्चिमका पवन चलता रहे ऐसी खिडकियाँ हों, जिससे स्वाध्यायी, तपस्वी साधुओंको सुविधा मिले / एकाध रूम-खंड गारमिट्टी से लिपा हो, जहाँ बीमार साधु रह सके / चारों ओर गृहस्थ लोगोंके घर ऐसे न आ पाये हों जहाँसे सब कुछ दिखाई पड़े / उपर-नीचे गृहस्थोंका निवास न हो, यह इच्छनीय है / दो से अधिक द्वार बाहर निकलने के लिए न हों / आवश्यकतानुसार ही रूम बनाये गये हों, बाकी बडे खंड हो / पंखों आदिका फिटींग न किया हो। बरसातके झोंकोंसे भीतरी जगह गिलीगिली न हो जाती है / लकडीमें दीमक न लगे, उसकी पहले से ही व्यवस्था की गयी हो / विजातीय (साधु या साध्वी) के लिए दूसरा उपाश्रय उपर या नीचे के मजले पर न हो तथा स्वतंत्ररूपमें अति निकटमें भी न हो, खिडकियाँ ऐसी बनी हों, जिससे उस ओर नजर तक न जाय / पाठशाला (9) .. बच्चों आदिको धार्मिक शिक्षा और संस्कारोंकी प्राप्ति हो, उसके लिए कई दशकोंसे पाठशालाएँ, चालू की गयी हैं / इस क्षेत्रको प्राप्त हुआ दान इसी क्षेत्रके लिए उपयोगमें लाया जाय / इस दानमेंसे पंडितजीको (जैनको भी) वेतन दिया जाय / बच्चोंके लिए धार्मिक पुस्तकें खरीदी जायें / उनको प्रोत्साहनके लिए प्रभावना आदि भी दी जाय / पूर्वे सूचित किया गया है वैसे ज्ञानखातेकी रकममें से पाठशालाका मकान खरीदा नहीं जा सकता और बच्चों के लिए किताबें भी खरीदी नहीं जा सकतीं / पाठशालाके मकानमें धार्मिक प्रवृत्तिके सिवा अन्य कोई प्रवृत्तिको स्थान न दिया . जाय / पहले तो घरकी संस्कारी और शिक्षित माँ ही पाठशाला थी / सभीको गाथाएँ देती / धार्मिक कथाएँ सुनाती / अपूर्व संस्कारसिंचन करती / उपरान्त, विशिष्ट