________________ 34 'धार्मिक-वहीवट विचार महसूस किया कि इस छेडछाडको बेटेने देख ली है / हाय ! वह कैसा कामी बनेगा / इस कल्पनासे माताने जीभ कुचलकर आत्महत्या की / इडरनरेशने युवराजसे कहा - 'तुमने प्रजाकी एक बच्ची पर बलात्कार किया है / तुम्हें सजाके रूपमें जहरका कटोरा पीना पड़ेगा / यदि तुम उसके लिए तैयार नहीं हो तो तुम्हारा पिता इस कटोरेको पी जायेगा / ' बेटेने कटोरा पी लिया / कैसे महान पिता थे ! श्रावक-श्राविका (6) + (7) . श्रावक-श्राविका खातेको साधार्मिक खाता कह सकते हैं / इस क्षेत्रमें भेंटमें मिलनेवाली रकम दीक्षार्थीको अन्तिम तिलककर वर्षीदानकी वरयात्राके चढानेवाली बोली की रकम, उपधाननी माला पहननेवाले भाईबहनोंको तिलक करने की बोलीकी रकम, जिनभक्ति महोत्सवकी पत्रिकामें आमंत्रककी बोलीकी रकम, माणिभद्रादि देवोके भंडारकी रकम (मणिभद्रकी प्रतिमा या गोखलादि देवद्रव्यमेंसे निर्मित न हुआ हो तो), साधारण खाते की वार्षिक 360 तिथि-योजनाकी रकम, नूतनवर्षके दिन संघकी मंजूषाका ताला खोलना, उस दिन मुनीम बनना, उस दिन मुनीमको टीका करना, कामली ओढाना, पेढीमें काजा निकालना पहले दानकी पहुँच फाडना, दीक्षार्थी (बिना रथकी) की वरयात्राकी उछामनियाँकी रकम, कुमारपालकी आरतीका लाभ लेनेवालेको तिलक करने की बोलीकी रकम, शालिभद्रादिके कथागीतोंमें शालिभद्र, भद्रामाता, क्षेणिक महाराजा आदि बननेकी उछामनीकी रकम, दीक्षार्थीकी घडी, कंगन आदि आभूषणोंकी उछामनीसे प्राप्त रकम, शत्रुजय तीर्थके उद्धारक भरतचक्री, जावडशा, कर्माशाह आदि रूपमें वरयात्रामें बैठनेका लाभ प्राप्त करने की उछामनीकी रकम, उन्हें तिलक करनेके चढ़ावेकी रकम आदि इस खातेमें जमा की जाय / / इस खातेकी रकमका उपयोग दुःखी श्रावक-श्राविकाओं के लाभार्थ किया जाय / श्रावक-श्राविकाओंकी तमाम प्रकारकी सेवामें भी हो सके। सात क्षेत्रोंमें यह अन्तिम होनेसे, इस खातेकी रकमका उपयोग, उसके उपरी तमाम क्षेत्रोंमें किया जाय / नहीं, उसके नीचे के अनुकंपा, जीवदयाके खातोंमें न किया जाय / ऐसा महसस होता है कि पौषधशाला आयंबिलखाता और पाठशालामें भी इस खाते की रकमका उपयोग किया जाय / यदि उस रकमको केवल दु:खी श्रावक