________________ 32 धार्मिक-वहीवट विचार * समाधान कर लिया कि लेन-देन पूरी हुई, अब शोक किस बात का?' जगडूसाहकी पत्नीकी अद्भुत कथा कहूँ / एक बार कई सौदागरोंने अपने जहाजोंमें भरी-पडी मोमकी ईंटों सेठको मुफ्तके भावसे रख लेनेके लिए हठाग्रह किया / बात ऐसी थी कि ईंटोंका मालिक कोई सेठ था / इन ईंटोंको उसने भारतमें भेज दी और थोड़े समयमें ही परदेशमें उसका अवसान हो गया / नाविकोंके सर पर इन ईंटोका उत्तरदायित्त्व आ पड़ा, अतः उन्होंने दयालु सेठको ये सारी ईंटे दुराग्रह कर दे दी। माल घर आँगनमें उतरा / जगडूसाहकी पत्नी श्राविकाने मोमके बने इस हिंसक मालको घरमें रखनसे साफ इन्कार कर दिया / अतः उस मालको हवेली से बाहर ओटे पर रखा गया / पत्नी महाश्राविका थी / शेठ को ऐसे मालका स्वीकार करनेके उपलक्ष्यमें कठोर उपालंभ दिया / साथ ही साथ अबोलव्रत धारण किया / चौमासेके चार मास गुजर गये / फागुन आइ / ग्रीष्म शुरू हुआ / असह्य गरमीके कारण, मोमकी दिखायी पडनेवाली सारी ईंटोंके मोम बना उपली स्तर (प्लास्टर) पीघला / तमाम ईंटें सोनेकी थी / सर्वत्र समाचार फैल. गये / श्राविकाने अबोलव्रत छोडा / सेठको कंसारका मिष्ट भोजन कराया ।मुनियोंको सेठ वहोरने ले गये / पनिहारी स्त्रीके सिर पर पानी के लगातार दो-तीन मटके होने पर भी वह सावधान रहती है / आनंदघनजीने एक स्थान पर कहा है कि - 'चितडं गागरीयामांय' जिनशासनकी श्राविकाके सर पर जिनमूर्ति, जिनमंदिर आदि सात खातोंकी छः गगरियाँ हैं / यदि श्राविका जरा भी असावधानी, बरते-मनसे जरा भी बुराई सोचे या तनसे गलत काम कर बैठे तो उसके सर पर रही सारी गगरियाँ हिलडोल उठे / कुछ गगरिया गिर भी पडे / 'श्राविका' यदि पूरे अर्थमें घरकी श्राविका बनी रहे तो हर घरमें प्रकाश लहर उठे, पश्चिमका अंधकार घरके किसी भी कोनेमें घुस न पाये / पश्चिमकी माता और भारतीय प्रजाकी मातामें उत्तर-दक्षिण ध्रुव-सा अन्तर है / पश्चिमकी माता तुरतके जन्मे बच्चेको बारह घंटेके बाद अलगसे कमरेमें सुलाती है / चाहे उतना रोने पर भी साथ में नहीं रखती / माँ-बापसे अलग रहनेकी तालीम उसे बारह घंटोके बाद शुरुसे ही दी जाती है / /