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________________ चौदह क्षेत्रोंका विवरण 27 लूंछनपूर्वकका जो गुरुद्रव्य है, उसका समावेश साधु-वैयावच्चमें किया जाय, यह बात उपरके दोनों प्रकारके समुदायोंको सर्वमान्य है / लूंछनसे प्राप्त गुरुद्रव्य, पौषधशालाके निर्माणकार्यमें भी उपयोगमें लाया जा सकता है / साधु - साध्वी ( 4 ) (5) यहाँ साधु-साध्वीके रूपमें श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन साधु-साध्वीको समझें / उनकी वैयावच्च करनेमें इस खाते की रकमका उपयोग किया जा सकता सामान्यतः साधु-साध्वियोंकी इस प्रकारकी सारी वैयावच्च, श्रावकों द्वारा स्वयं और स्वद्रव्यसे करनी चाहिए, फिर भी आवश्यकता पड़ने पर साधुसाध्वियोंकी वैयावच्चमें, उनके स्वास्थ्यकी देखभाल रखने की सारी बातोंमें औषध, डाक्टर, जाँचनेकी.फीस, अनुपान, वृद्धावस्थामें डोली, डोलीवालेका वेतन, रहनेकी व्यवस्था आदि उनकी आवश्यक चीजें पातरा, ओघो, कपडे, कामली आदि, उपरके सभी कामोंमे इस खातेकी रकमका विनियोग किया जा सकता है / नहीं, कतिपय साध केवल मौजशौकके लिए विविध चीजोंकी अपेक्षा रखते हैं, ऐसी चीजें इस खातेकी रकममें से लायी न जायँ / इस खातेकी रकमको किसीभी प्रकारके गृहस्थोंकी बीमारी आदिमें उपयोगमें लायी नहीं जा सकती / अनाथाश्रम आदिमें इस रकमका दान श्री संघ कर नहीं सकता / ___ इस रकम पर पूरा अंकुश, श्रीसंघकी संचालन समिति का रहेगा / साधुलोग, उस रकमको अपने अधिकारमें ले नहीं सकते / उससे उनके पाँचवे व्रतको हानि पहुँचेगी / उपरान्त, अन्य भी कई दूषण पेदा हो सकते हैं / वैयावच्च खातेमें मिलनेवाली भेंटकी रकम, दीक्षार्थी भाईबहन के कपडे, आदि उपकरणोंकी उछामनी की रकम, गुरुचरणोंमें रखी जानेवाली रकम, महात्माओंको कामली वहोरानेके चढावेकी रकम आदि इस खातेमें जमा की जाय / ___ यद्यपि इस सारे गुरुद्रव्यको परंपरा आधार पर देवद्रव्यमें जमा करनेके लिए . कई लोग कहते हैं / उनके मतानुसार गुरुचरणोंमें रखी गयी रकम तथा महात्माओंको कामली वहोरानेके चढावे की रकम देवद्रव्यमें जमा की जाय; . लेकिन 'द्रव्यसप्ततिका' ग्रन्थमें सूचित गौरवार्ह स्थानमें वैयावच्चका समावेश होनेसे अथवा
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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