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________________ 24 धार्मिक-वहीवट विचार श्रावक-श्राविकाएँ उपयोग करें तो, वे ज्ञानखातेमें भेंटके रूपमें कुछ रकम दें तो वह उचित होगा। श्रमण नवकारवाली आदि जो चीजें अपनी निश्रामें न लें, तो उन्हें गृहस्थोंको तात्कालिक सदुपयोगके लिए अवश्य दें / अपने बच्चोंके लिए चलती पाठशालाके धार्मिक ग्रंथोंके लिए अथवा पाठशालाके पंडितके वेतन की रकम, साधु-साध्विके निमित्त ज्ञानखातेमेंसे ली नहीं जा सकती / ज्ञानखातेकी रकमका उपयोग, साधुसाध्वियोंके अध्ययन-अध्यापन कार्यो में किया जा सकता है / श्रावकोंके लिए तो इस रकमका उपयोग नहीं हो सकता ।स्कूल आदिके तथाकथित व्यावहारिक शिक्षण में तो इस रकमका उपयोग कदापि नहीं हो सकता। ज्ञानपूजन, प्रतिक्रमणादिमें सूत्रोकी बोली, ज्ञानकी अष्टप्रकारी पूजाकी उछामनी, बारसासूत्र आदिके चढावे की रकम, दीक्षार्थी भाईबहनकी दीक्षा के उपकरण : पोथी नवकारवाली, सापडाकी उछामनी की रकम, पदस्थ बननेवाले महात्माओंके यन्त्र, पट, नवकारवाली आदिकी उछामनी की रकम, ज्ञानपंचमीके दिन संपन्न होनेवाली ज्ञानकी रचना पर रखी जानेवाली रकम इस खातेमें जमा की जाय / - ज्ञान खातेकी रकममेंसे ज्ञानभंडारका मकान कबाट, ग्रंथ आदिकी खरीदी की जाय / (ऐसे ज्ञानभंडारके मकान में साधु-साध्वीजीका थोडे समयके लिए भी निवास नहीं हो सकता / ) साधु-साध्विीजीके अध्ययन के लिए उपयुक्त हो ऐसे तमाम प्रकारके स्व-पर दर्शनके ग्रन्थोंकी खरीदी की जाय / उनका पूरा उपयोग हो जाने पर उन्हें ज्ञानभंडारमें रखे जायँ / उनके अजैन पंडितोंका वेतन, पुरुस्कार इस खातेमेसे दिया जाय / जैनधर्मके उपर मान पैदा हो,जिनशासनके नव तत्त्वोंके प्रति आदर उत्पन्न हो, वैसा साहित्य अजैन कौमके विशिष्टं कक्षाके लोंगोंको, ज्ञानखाते की रकममें से दिया जाय / श्रुतका लेखन, मुद्रण आदि कार्य इस खातेकी रकममेंसे किया जाय / पाठशालामें पढनेवाले बालक, बालिकाएँ आदिके लिए जरूरी पुस्तकें इस खातेमेसे.ला नहीं सकते / उन किताबोंकी व्यवस्था, उनके वालिद लोंगोको करनी चाहिए / पाठशालाके पंडितोंका वेतन आदि भी इसमें से दिया न जाय / जिन किताबोंके ढेर के ढ़ेर पड़े रहते हैं / जैसे तैसे लोगों को भेंट के रूपमें दे देनी पडती हैं ऐसी स्तवनादिकी किताबें, इस खातेकी रकमसे छपवानी उचित नहीं
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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