________________ चौदह क्षेत्रोंका विवरण आदिका विस्मरण होने लगा / परिणाम स्वरूप ज्ञानको नष्ट होनेसे बचानेके लिए पुस्तकस्थ करना पडा / तबसे ग्रन्थस्थ ज्ञानकी सुरक्षाके लिए द्रव्यकी जरूरत महसूस होने लगी। प्राचीन समयमें जैन साधु-साध्वियोंको गृहस्थ-पंडित आदिके पास अध्ययन करनेका प्रसंग उपस्थित न होता था; इतना ही नहीं अध्येताके लिए प्रायश्चित्त की भी सूचना थी / लेकिन विषम समयमें शास्त्र-संमत न होने पर भी सुविहित आचरण स्वरूपमें व्याकरण, न्याय, दर्शन आदि शास्त्रोंके अध्ययनके लिए पंडितोंकी आवश्यकता महसूस हुई, तबसे ज्ञानद्रव्यकी सविशेष जरूरत रही / जिनागम-जिनवाणी-सिद्धान्तोंके अलावा शासनका संभव नहीं / अतः जिनागमों-शास्त्रोंकी रक्षाके लिए एवं पढलिखकर विद्वान साधु-साध्वी भी व्युत्पन्न हों, उसके लिए ज्ञानद्रव्यकी अत्यंत आवश्यकता उचित मानी जाय / इस प्रकार यह द्रव्य भी शासनमें अतिपवित्र और महत्त्वका है। देवद्रव्यही तरह जिनागम आदि धमग्रन्थों के लेखन, रक्षण, आदिके लिए, ज्ञानद्रव्य भी अतिप्रवित्र द्रव्य है / ज्ञानपूजन, ज्ञानविषयक उछामनियां, कहीं कहीं हो रही ज्ञानकी अष्ट प्रकारी पूजा, कल्पसूत्र आदि सूत्रों की बोली-वाचना, प्रतिक्रमणके सूत्रोंकी बोली, दीक्षा या , पद-प्रदान प्रसंगकी नवकारवाली पोथी और सापडेकी उछामनी, ज्ञानखातेमें मिलनेवाली भेंटकी रकम आदि ज्ञानद्रव्य कहा जाता है / इसमेंसे आगमों, शास्त्रों और साधु-साध्वियोंके अध्ययन-उपयोगी ग्रन्थादिको लिखाना-छपवाना आदि ... काम किया जाय, साधु-साध्विोयों को पढानेवाले अजैन पंडितोंको वेतन और पुरस्कार आदि दे सकते हैं / ज्ञानभंडारोंका निर्माण किया जाय / ज्ञानमंदिर बनाये जा सकते हैं / (जिनमें साधु-साध्वियां, संथारा या गोचरी, पानी आदिकी कोई क्रिया कर न पाये / ) ज्ञान खातेमें (अर्थात् पाठशाला आदि) भेंटकी रकममेंसे जैन पंडितको भी वेतन-पुरस्कार दिया जाय / पाठशालाके बच्चोंके लिए, अध्ययनार्थ धार्मिक पुस्तकोंकी खरीदी की जाय / (ज्ञान खातेमें कोई दाता इस हेतुसे दान दे कि मैं यह रकम चतुर्विध संघमें सम्यग्ज्ञानके प्रसारके लिए उपयोग करने के लिए भेंट रूपमें देता हूँ / ' ऐसे स्थल पर उसकी स्पष्टता करनी चाहिए / ) यदि ज्ञानभंडारके या श्रमणोंकी पुस्तकोंका सम्यक् ज्ञानाभ्यासके लिए