________________ धार्मिक द्रव्यके संचालन करनेकी योग्यता जानवरोंके लिए पांजरापोलकी संस्था जारी करें / चाहे उसके दाताओंको 80-जी कलमका लाभ प्राप्त न होता हो और उसके कारण दानलाभ ज्यादा न हो / ऐसी स्थितिमें दाताओंके पास बारबार जाना पड़ेगा बाकी पांजरापोलोंकी स्थापनाके लिए पैसे तो मिल ही पायेंगे / सभी जीवों प्रति दयाका भाव व्यक्त किया जाय और करमुक्तिका भी लाभ प्राप्त हो, इस प्रकार दोनों ओरसे फायदा उठानेके लिए कतिपय लोग, 'गौशाला और पांजरापोल' जैसा नाम रखकर ट्रस्ट भी बनाते हैं / _ किसी भी ट्रस्टके संविधानमें ट्रस्टीमंडलकी नियुक्तिमें चुनावप्रथाको स्थान न दिया जाय / मद्रास वरिष्ठ अदालतका थोडे वर्षोंके पहले एक आदेश घोषित हुआ था / उसमें सूचित किया गया है कि - 'धार्मिक या सार्वजनिक ट्रस्टोंमें चुनावप्रथाको कार्यान्वित न करें; क्योंकि चुनावप्रथा कई टंटो-फिसादोंकी जड़ है / धर्मस्थानोंमें झगडोंका प्रवेश होना न चाहिए / ' चुनावप्रथा द्वारा ट्रस्टी निर्वाचित हों, उसके बजाय, प्रथम ट्रस्ट-डीड हों, उसी समय उसमें कायमी ट्रस्टीओके रूपमें नाम रख देने चाहिए / यदि किसी ट्रस्टीकी मृत्यु हो या राजीनामा पेश कर दे, तो बाकी ट्रस्टी मिलकर उस स्थान नये ट्रस्टीकी नियुक्ति, संभव हो तो सर्वानुमतिसे, अन्यथा दो-तीन ट्रस्टियोंके बहुमतसे कर दें / . लेकिन इसमें एक खतरा है ही / आरंभमें 'अच्छे-भले' समझकर लिये गये कायमी ट्रस्टीलोगोंमें, यदि कोई विचित्र स्वभावका नटखट घूस पेठा तो बडी मुसीबत पेदा हो जाय / हमेशा परेशानी पैदा करनेवाले आदमीके साथ काम निपटाना मुश्किल होता है / ___इस वजहसे कायमी ट्रस्टीवाली प्रथाको ट्रस्टके संविधानमें दाखिल न करे, लेकिन पाँच साल पूरा होनेके बाद ट्रस्टीमंडलके कोई दो ट्रस्टी, बारीबारीसे प्रतिवर्ष इस्तीफा देते रहे, ऐसा संविधानमें उल्लेख करें / हां, जो अच्छी तरह संचालन करते हौं, ऐसे ट्रस्टियोंकी पुन:सेवाकी आवश्यकता महसूस होने पर - उनकी निवृत्ति ट्रस्टके हितमें उपयुक्त न हो - तो उनको इस्तीफाका स्वीकार कर, तुरंत ही उन्हीं दोको पुनः ट्रस्टीके रूपमें नियुक्त 'करनेकी (एक या दो बार, उससे ज्यादा नहीं) व्यवस्था करनी चाहिए / अच्छे-भले ट्रस्टियोंका भले ही बहुमत हो, लेकिन एकाध ट्रस्टी जड़ . या नटखट घुस गया तो बहुमतको भी तबाह कर देता है / जरा भी काम