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________________ 148 धार्मिक-वहीवट विचार सामायिक, प्रतिक्रमण करनेमें शायद रुचि न हो, लेकिन संचालनके कार्य करनेमें तो ऐसे सद्गृहस्थों को रुचि होगी ही / ऐसे सज्जनोंकी सेवा धार्मिक ट्रस्टोंको न मिलनेके कारण, ट्रस्टोंका संचालन अंधाधुंध बन पाया है / ऐसे ट्रस्टोंके कार्यकर्ता कटौती, चोरी, भ्रष्टाचार आदि दोषोमें फँसे रहते हों, तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं / प्रत्येक कमाऊ लड़का अपने पिताजीको आग्रहपूर्वक किसी धार्मिक ट्रस्टके मानद कार्यकर बनाये / जहाँ सर्वत्र भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार बन गया हो, वहाँ अच्छे-भले मनुष्यों के अभावमें ट्रस्टोंकी भी एसी ही हालत होगी न ? प्रश्न : (154) ट्रस्टियोंके बीच मतभेद होने पर मार्गदर्शन लेने के लिए चेरिटी कमिशनरके पास जाना चाहिए या गीतार्थ गुरुके पास ? उत्तर : बेशक, गीतार्थ गुरुके पास जाना चाहिए / चेरिटी कमिशनरका संबंध, वेटिकन सिटीके केथोलिक धर्मगुरु पोपके साथ है, जो समुचे विश्वकी अगोरवर्णी और बिन ईसाई धर्मी समुची प्रजाओंको धरती परसे खत्म करनेका या अत्यंत कमजोर बना देनेका संकल्प कर बैठा है / ये सारी बातें खूब रहस्यमय और अत्यन्त गुप्त हैं / सुविहित गीतार्थ धर्मगुरुका संबंध तारक तीर्थंकर देवके साथ जुडा हुआ है / ट्रस्टियोंमें होनेवाले मतभेदोका सही हल वे बता सकते हैं / ___ सचमुच तो ट्रस्ट, ट्रस्टी, बहुमतवाद आदि स्वयं ही पोप द्वारा आयोजित सामग्री है / इसमें गीतार्थ धर्मगुरुके साथ संबंध, अर्थात् बहती हुई गटरमें इत्रकी बूंद......नींव-जडमें ही सडा हो वहाँ जड सुधारनेकी ही बात करनी चाहिए / प्रश्न : (155) कमिशनर और सखावती ट्रस्टके अंदर बी. सी. आदमीको नियुक्त करनेकी बातका मुकाबला करनेके लिए हमें क्या करना चाहिए ? उत्तर : शास्त्रकार परमर्षि लोग बतातें हैं कि 'जिस क्षेत्रमें राजा न हो, वहाँ साधुओंको विहार नहीं करना चाहिए / '
SR No.004379
Book TitleDharmik Vahivat Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekharvijay
PublisherKamal Prakashan
Publication Year1996
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size22 MB
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