________________ चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी 149 आजकल तो समुचे भारतमेंसे राजाशाहीका खात्मा हो गया है / राजाके पास तो थोडा-बहुत भी न्याय मिल पाये / आजकी लोकशाहीमें तो न्याय पाना असंभव हो गया है / अदालतमें कानूनोंकी बोलबाला है, न्यायका नहीं / लोकसभा यदि पिछडे वर्गके लोगोंको पूजारी आदिके रूपमें लेनेका कानून बहुमतसे पारित करे तो अदालत कानूनके अनुसार फैसला सुनायेगी। इसमें किसी दलीलको अवकाश नहीं / अतः सर्व प्रथम तो उस कानूनका ही अदालत या लोकअदालतमें मुकाबला करना चाहिए / लोकसभामें जो सदस्य आते हैं, वे चुनाव प्रथाके अनुसार चुंटाके आते हैं / बहुमत प्राप्त करनेवाला आदमी निर्वाचित होता है / सामान्य कक्षाके लोगोंका सामान्यतः बहुमत होता है / उन्हें पैसोंका रुश्वत दिया जाय, अन्तिम रात बेहद शराब पिलाया जाय, तभी उन निम्नकक्षाके लोगोंके मत प्राप्त हो सकते हैं / ऐसा भ्रष्ट चुनाव तंत्र होनेके कारण 'अच्छे-भले' आदमी लोकसभा या विधानसभाके सदस्य बननेसे कतरातें है / परिणामस्वरूप निम्नकक्षाके लोग अपनी मनमानी करते हैं / . इस प्रकार समुची लोकशाही, गुंडाशाही बन पायी है / कमीनोंका राज सर्वत्र चल रहा है / इस स्थितिमें समग्र धर्मतंत्र संकटग्रस्त है / उसका शास्त्रानुसार संचालन करना मुश्किल बन गया है / आज ही देखें, देवंद्रव्यकी संपत्तिका बैंको द्वारा, मच्छीमारों, बतककेन्द्रों, भंड-पालनकेन्द्रों आदि हिंसककार्योमें दुरुपयोग हो रहा है / कौन जैन, कौन महाजन, इस विषयमें मुकाबला करता है ? राजा नहीं, राज्य नहीं, तंत्र नहीं, न्याय नहीं, शिकायत करें भी तो कहाँ करें ? समयकी प्रतीक्षा करें / सानुकूल परिवर्तन आयेगा, ऐसी आशा है। कब ? उसका पता नहीं / फिर भी बिना निराश हुए बिना सभी धर्मप्रेमियोंसे जो भी बन पड़े, वह काम करते रहे /