________________ 142 धार्मिक-वहीवट विचार उत्तर : इस प्रकार करनेसे कोई शास्त्रीय बाध उपस्थित नहीं होता / इस प्रकार साधारण विभागकी शास्त्र अविरुद्ध शिष्ट कक्षाकी पद्धतियाँ ढूंढ निकालनी चाहिए / जिससे देवद्रव्यमें हवाला डालनेका या उसके भक्षण करनेका अवसर न आये / प्रश्र : (145) देरासरमें साधारण विभागका भंडार रखा जाय ? यदि हाँ, तो किस स्थान पर रखा जाय ? उत्तर : देवद्रव्यमें डालनेकी इच्छाकी रकम, गलतीसे साधारणके भंडार में जमा होनेकी संभवितता होनेसे इस भंडारको देरासरमें न रखकर, बाहर ही रखना चाहिए / वहाँ यदि उसकी सुरक्षा महसूस न होती हो तो देरासरमेंसे बाहर निकलते समय, अन्तिम दृष्टि में ही वह आने पाये, उस प्रकार रखना चाहिए. / 'साधारण विभागका भंडार' इस प्रकार बड़े अक्षरोंवाला एक बोर्ड भी वहाँ रखा जाय / साधारणके बजाय शुभ विभाग (सर्वसाधारण)का ही भंडार रखा जाय, तो उचित होगा / प्रश्न : (146 ) नवकारशी, स्वामीवात्सल्यकी बोलीमें बची रकमका उपयोग कहाँ किया जाय ? ____उत्तर : दोनों रकमोंका उपयोग किसी धार्मिक कार्यमें, सात क्षेत्रोंके साधारणमें किया जाय / प्रश्न : (147) साधारण विभागकी आमदनीके सरल मार्ग बतायें / उत्तर : देवदेवताओंके भंडारोंकी आमदनी साधारण विभागमें जमा हो, यह सरल रास्ता है / फिर भी आमदनी एकत्र करनेके लिए ऐसा न करना चाहिए, क्योंकि उसमें भारी मुसीबत मोल लेनेका खतरा रहता है / लोग वीतराग भगवंतको छोडकर इन सराग देवदेवताकी उपासनाके पीछे पागल बने हुए हैं / दूसरा, कायमी तिथियोजना आदिकी व्यवस्था तो करें ही नहीं; क्योंकि उस कामके लिए बडी रकमें बैंकोमें जमा करानी पड़ती है; जो रकमें प्रायः हिंसाके कार्योंमें उपयुक्त की जाती हैं / अतः प्रतिवर्षकी स्वतंत्र तिथि-योजना करें / मानो कि साधारण विभागका वार्षिक खर्च छत्तीस हजार रूपयोंका है, तो प्रतिदिनकी एक तिथि एक सौ रूपयोंकी हुई / स्थानिक या अन्य संघोमें इस तिथिको लिखानेकी प्रेरणा दें / कोई दस-पाँच या एक ही तिथि लिखायें / दूसरे वर्ष इन्हीं भाइयोंको उनकी