________________ 127 चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्रोत्तरी प्रश्न : (124) साधर्मिक विभागकी या साधारण विभागकी रकममेंसे अजैन गरीब लोगोंकी अनुकंपा की जाय या नहीं ? उत्तर : नहीं हो सकती / सात क्षेत्रोंके उपरि स्तरके विभागकी रकम, निम्नस्तरके विभागमें नहीं जा सकती / साधारण विभाग अर्थात् सात क्षेत्रोंको साधारण विभाग ऐसी सामान्यतया समझ है / अतः साधारण विभागकी रकम सात क्षेत्रोंसे अतिरिक्त विभागमें नहीं जाती / यदि साधारण विभागके बदले में शभ (सर्वसाधारण) विभाग खोला जाय तो उस विभागकी रकम 7+7 = 14 क्षेत्रोमें विभाजित हो / उस रकमका सात क्षेत्रोंके अतिरिक्त अन्य शुभकार्यो में भी उपयोग किया जाय / अपनी अथवा अपने परिवारकी यात्रामें इस रकमका उपयोग नहीं करना चाहिए / इसके अतिरिक्त, अनुकंपा विभागमें रकम जमा करानी हो तो अनुकंपा निमित्त विशेष फंड इकठ्ठा करना चाहिए / 'अनुकंपा', जीवदयाविभागकी रकम, अन्य किसी भी विभागमें नहीं जा सकती / जीवदया - प्रश्नोत्तरी प्रश्न : (125) पांजरापोलमें होनेवाली जीवदया उचित है ? उत्तर : बारबार आते सूखे, सरकारकी अप्रिय संस्था पांजरापोल (आदरणीय संस्था गौशाला ) श्रीमंतोका बढ़ा-चढ़ा विलास और स्कूलों, कालिजों अस्पतालोंकी ओर बहता दानप्रवाह, कम हई जीवदयाके प्रति रुचि, कार्यकर्ताओंका अभाव, पानीकी कमी आदि अनेक कारणवशात् अबोल पशुपक्षी प्राणियाँकी जीवदयाका काम विकट हो गया है / / तीन संस्थाओंकी परिस्थितिकी ओर नजर करनेसे मैं सोचता हूँ कि इनका दस सालके बाद भावि कैसा होगा ? उन तीनोंके नाम ये हैं :(1) पांजरापोल (2) पाठशालाएँ (3) भारतीय जीवन श्रावक-श्राविकाओंके संघकी हालत तो आज विषम बनी है / अर्थ और कामकी तीव्र लालसाके कारण, इस संघने अपने देशविरति धर्मके अस्तित्वको मृतःप्राय कर दिया है / खैर...यह सब कुछ तो अखिर नियतिके आधीन है / पांजरापोलोंमें जो जीवदया बतायी जाती है उसमें जीवोंके प्रति दयाका उद्देश तो है ही, परन्तु उसके पीछे मुख्य हेतु तो अपने करुणानामक गुणको