________________ 124 धार्मिक-वहीवट विचार उत्तर : यदि ऐसा किया जाय तो, जिस कार्यके लिए उन रकमों का फंड किया गया है, वे सभी कार्य बंद हो जायें / दाताका दान निमित्त उद्देश्य भी खत्म हो जाय / अतः इस प्रकारकी देवद्रव्यभक्ति यह अतिभक्ति मानी जायेगी और यह वर्ण्य है / ___ अनुकम्पाविभाग - प्रश्नोत्तरी (13) ... प्रश्न : (120 ) रथयात्रादिके वरघोडेमें पीछेके भागमें यदि अनुकम्पाकी गाडी रखी जाय तो, उसके खर्चकी रकम, सात क्षेत्रोंमेंसे, किस विभागमेंसे ली जा सकती है ? उत्तर : सात क्षेत्रोमें इस विषयका कोई विभाग नहीं है / लेकिन शुभ विभाग (सर्व साधारण)के चौदह क्षेत्रोमें जो अनुकंपाविभाग है, उसमें से इस खर्चका निर्वाह कर सकते हैं / उपरान्त, रथयात्रा निमित्त जो फंड एकट्ठा किया गया हो, उसमेंसे भी यह खर्च निकाला जा सकता है। कोई एक व्यक्ति भी, स्वद्रव्यसे यह लाभ पा सकता है / प्रश्न : (121) गरीबोंके लिए गाँव-गाँव ख्रिचडी घर, छाशकेन्द्र, प्याऊ, शाक-पुडी आदि सदाव्रत अन्नक्षेत्र जैसा कार्यक्षेत्र शुरू हो तो, वह इच्छनीय है या नहीं ? उत्तर : स्पष्ट उत्तर हाँ है / औचित्यके लिए शासनप्रभावना हो उसके लिए या शासनहीलना (जैन लोग मानवताके आग्रही नहीं / वे तो पत्थरों में ही करोडो रूपयों का खर्च करते हैं - जैसे बोले जानेवाले शब्द यह शासनहीलना है।) के निवारणार्थ, ऐसे कार्य स्थान स्थान पर भले ही हों / लेकिन वर्तमानकालीन बेरोजगारीके भीतर जो भयंकर कक्षाका अंगार छिपा पड़ा है, उसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते / ___ बात ऐसी है कि - वर्तमान गरीबी, बेकारी, बीमारी, महँगाई आदि कृत्रिम हैं, मानवसर्जित है / हिन्दुस्तानकी समुची धरती पर, अपने कायमी निवास करनेके उद्देश्यसे विदेशी गोरी प्रजा हिन्दुस्तानकी भूमि पर कायमी प्रभुत्व जमाना चाहती है / इसके लिये बममारी कर, उसकी प्रजाका खात्मा कर दे तो, पृथ्वी पर उभर आये अद्यतन कक्षाके बड़े बड़े शहर, उद्योग व्यवसाय, बंध, रास्ते आदिका भी सत्यानाश हो जाय / अतः बिना बममारीके सूखा, भूखमरी, बीमारियाँ आदि द्वारा वे भारतीय प्रजाको नामशेष करना चाहते हैं / इस निमित्त ही उन्होंने शिक्षण (बेकारीजनक) यन्त्रवाद