________________ 119 चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी आमदानीके सामने, कभी पूर्ण न हो ऐसा भारी नुकसान कितना होगा ? दिल्हीकी संसदका विशाल बैठकखंडका उपयोग, सभाके अलावा किसी काममें किया नहीं जाता / बाकी समयमें बिलकुल खाली पड़ा रहता है / उस समय यदि यह सभाखंड किराये पर दिया जाय तो प्रतिवर्ष लाखोंरूपयोंकी आमदानी हो सके, लेकिन सभाखंडके गौरवकी रक्षा के लिए, आमदानीका लोभ किया नहीं जाता / उपाश्रयका वाडीके रूपमें उपयोग करने देनेसे दूसरे भी कई नुकसान होते हैं / पहलेसे ही वाडीका जिस दिनके लिए आरक्षण किया गया हो, उसी दिन यदि कोई साधु आ पहुँचे, तो क्या किया जाय ? उन्हें दूसरी जगह रखे जायँ ? लग्नके भोजनसमारंभ आदि हो तो वहां चींटी आदि जीव जन्तुओंका उपद्रव कायमी बन जाय / - उपर-नीचे उपाश्रयवाडी हो तो, वह भी उचित नहीं / विजातीय तत्त्वोंके सान्निध्यसे साधु या साध्वीको ब्रह्मचर्यव्रतपालनमें दोष लगनेकी पूरी संभावना रहती है / . धर्मस्थानके रूपमें उपाश्रयकी महिमा गौण हो जाती है और वाड़ी की आमदानीकी ओर, ट्रस्टीयों का ध्यान लगा रहता है / इससे साधुओंका संभवित आगमन भी मनमें अरुचिकर बन जाय / / मुझे तो उसमें हर तरहसे नुकसान ही मालूम होता है / जैनोंकी जहाँ ज्यादा आबादी हो, वहाँ जैनोंके गौरवको क्षति न पहुँचे, उसके लिए वे सामाजिक कार्योंके लिए अलग वाडी कर सके / करते भी हैं / उसमें . आवश्यकता होने पर धार्मिक कार्यक्रम भी किये जायँ / प्रश्न : (108) उपाश्रयकी देखभालके लिए रखे जैन भाईको साधर्मिक विभागमेंसे वेतन दिया जाय ? उत्तर : अवश्य, दिया जा सकता है / वह भाई दुःखी श्रावक हो, अतः उसकी साधर्मिक भक्ति भी हो सकेगी / और वह आदमी उपाश्रयकी देखभाल करने का काम कर पैसे लेगा / अतः उसे भी गौरव महसूस होगा और उसका निर्वाह होता रहेगा /