________________ चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी 113 इस विषयमें बढीचढी है / गुप्त ढंगसे भारी मात्रामें साधर्मिक भक्ति हो रही है / लेकिन गंदी राजनीतिके द्वारा निर्मित की गयी गरीबीको कोई भी दूर नहीं कर पायेगा / सारा आसमान फट चूका है, वहाँ क्या करें ? बाकी प्रयास तो चारों ओरसे चल रहे हैं / दृष्टिगोचर नहीं होते, यह बात सही है / समुद्रमेंसे एक बालटी पानी निकाला जाय तो कैसे पता चलेगा ? उतना समुद्रका पानी कम तो हुआ है लेकिन वह दृष्टिगोचर हो तभी न.? प्रश्न : (96) सबसे अधिक दान श्रावक-श्राविका विभागमें नहीं करना चाहिए ? उत्तर : वर्तमान समयमें यह बात सापेक्षरूपसे सही है / यदि श्रावकश्राविकाओंकी नींव मजबूत होगी / वे धर्मचुस्त होंगे, तभी उपरके पाँच क्षेत्र मजबूत बन पायेंगे / इस क्षेत्रमें दान की गयी रकम उपरके पाँचों क्षेत्रोंमें जा सकती है, यह भी इसका बड़ा लाभ है / धार्मिकोंके विना धर्म टिक नहीं सकता / अतः धार्मिकोंको जैनधर्मके श्रद्धालुओंको-टिकाये रखनेकी बातको सबसे पहली प्राथमिकता देनी चाहिए / प्रश्र : (97) सात क्षेत्रोंका जो साधारण क्षेत्र है उसमेंसे अथवा श्रावक-श्राविका विभागमें जमा रकममें से जैनोंका स्वामीवात्सल्य किया जा सकता है ? उत्तर : स्वामीवात्सल्यरूप भक्ति करनेमें भी कोई हर्ज नहीं / अग्रिमता दुःखीलोगोको देनी चाहिए / प्रश्न : (98) मुमुक्षुकी दीक्षाके उपकरणोंकी उछामनीकी रकम किस विभागमें जमा की जाय ? ___‘उत्तर : हाल में सर्वत्र गुरु वैयावच्च विभागमें रकम जमा की जाती है / साधु बननेकी पूरी तैयारीमें है अथवा ये उपकरण मुनिजीवनसे संबद्ध है अत: गुरु-वैयावच्च विभागमें ले जानेकी प्रथा चालू है, ऐसा मालूम होता है / निर्धन- दीक्षार्थीको निश्चित्त प्रकारकी मदद करनेमें भी इस बोलीकी रकमका उपयोग किया जा सकता है / प्रश्न : (99) साधर्मिक श्रावक-श्राविकाओंके लिए देवद्रव्यमें से किरायेकी चाली (छोटे कमरे) आदि बनायी जा सकती है ? उन्हें कर्जवाली धा.व.-८