________________ 112 धार्मिक-वहीवट विचार (रू. 41 लाखका) करनेका मुझे वचन दिया, लेकिन मैंने इस कार्यमें अग्रसर होनेका इन्कार कर दिया / साध्वीजीके वृद्धाश्रममें लेडी डाक्टर, नर्स आदिकी आवश्यकता रहती है / छोटा-सा अस्पताल खड़ा करना पड़ता है / मोबाइलवानकी जरूरत रहेगी / फिर भी यह सब कुछ तो हो सकेगा, लेकिन साध्वीजियोंकी देखभाल और अंत समय तक समाधिदान तो अत्यंत मुश्किल है / . वृद्धावस्थाके कारण स्वभावपरिवर्तन होता है / अपेक्षा और अधीरता बढ जाती है / बात-बातमें बुरा मान जाते हैं / ऐसी हालतमें प्रतिष्ठा बनाये रखना और पार उतरना मुश्किल काम है / इसकी अपेक्षा तो वे साध्वीयाँ अलग अलग स्थान पर स्थिर निवास करें जहाँ उनका भक्तवर्ग हो वहाँ अथवा उनके परंपरागत उपाश्रयमें अथवा उनके वतनमें, यह अच्छा होगा / एकाध साध्वीका निर्वाह तो आसानीसे हो सकता है / (यद्यपि आजकल तो घरके एकाध बड़े-बूढेको निभाना भी अरूचिकर बन पड़ा है / संतान उन्हें वृद्धाश्रममें छोड देने लगी हैं / ) उनकी सेवाचाकरी ठीक ढंगसे हो सके / ऐसा करनेमें थोडा सहन करना पड़े, तो भी यही पद्धति ठीक जंचती है / वृद्धाश्रमका विकल्प उत्तमकोटिकी श्राविकाओंकी सेवा देनेकी तैयारीके अभावमें किसी भी हालतमें वाँच्छनीय नहीं है / , गृहस्थोंके वृद्धाश्रमोंकी हालत अच्छी नहीं है / धनसंग्रह तो अच्छी तरह हो सकेगा / दाता लोग भी मिल पायेगे, मकान भी तैयार हो जायेंगे / परन्तु उस तन्त्रको यशस्वी ढंगसे चलाने का काम अत्यंत मुश्किल होगा / जो भी इस प्रवृत्तिमें अग्रसर होना चाहे, वह सोचविचार आगे कर बढ़े / ___ -श्रावक-श्राविका (6+7) प्रश्रोत्तरी प्रश्न : (95) श्रावक, श्राविकारूप तमाम दुःखी जैन लोगोंको आर्थिक रूपसे स्वावलंबी बनाये जायें तो वे जिनपूजा, गुरुभक्ति, संचालनकी देखभाल आदि बहुतकुछ ठीक ढंगसे कर न पाये ? उत्तर : समुचि दुनियाको नीरोगी, धनसमृद्ध, बुद्धिशाली बनाने जैसी यह एक शुभ भावना है / आजकल तो धनिक जैन सद्गृहस्थोंकी उदारता,