________________ चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्रोत्तरी ___ 111 जाय / यद्यपि हालमें तो ऐसी रकम उपर्युक्त उपाश्रयों एवं रसोईघरोंके निमित्त भी विविध संघोंकी ओरसे भेजी जाती है / उसका विरोध नहीं किया जाता / प्रश्न : (94) वृद्ध साध्विजियाँ यत्रतत्र स्थिर निवास कर बिराजी हैं / लम्बे अर्सेसे रहनेके कारण, उनके प्रति स्थानिक लोगोंको धृणा होने लगती है / साध्वीजियाँ भी तिरस्कृत होने लगी हैं / उसकी अपेक्षा, उनके लिए वृद्धाश्रमोंकी व्यवस्था करनी चाहिए या नहीं ? उत्तर : किसानलोग, जानवरोंके पास पूरा काम निकलवाकर, वृद्ध होने पर पांजरापोलमें जाकर छोड देते हैं / जिन्होंने दशक-दो दशक तक व्यवसाय निभाया, उन जानवरोंकी मरते दम तक देखभाल करना यह किसानका फर्ज है / ऐसा करनेसे अलग अलग रखे गयें जानवरोंकी अच्छी तरह देखभाल होती है / लेकिन यदि उनका पाँजरापोलमें केन्द्रीकरण हो जाय तो बड़े समूहमें देखभाल ठीक ढंगसे न होने से वे और दुःखी होते वयोवृद्ध साध्वीजियोंके लिए यदि वृद्धाश्रम बनाये जायँ तो, पांजरापोलके जानवर जैसी हालत होनेकी पूरी संभावना है / हाँ, यदि पांजरापोलमें नौकरशाही न हो, महाजनके सेठ लोग स्वयं दिनभरमें दो बार पूरी देखभाल रखते हों, पैसे और घासकी पुडियाँके लिये गाँव गाँव चलते रहते हों, ऐसे पाँजरापोलोंकी बात ही अलग है / वहाँके जानवरोंकी देखभाल अच्छी तरह होती है / ऐसा ही वृद्धाश्रमोंका मामला है / साध्वीजियोंको नौकरोंके हवाले करनेके बजाय, गृहस्थोंकी श्रीमतियाँ (सुश्राविकाएँ) यदि साध्वीजियोंकी निजी रूपसे देखभाल करें तो ऐसे वृद्धाश्रमोंमे दु:खी होनेकी नौबत नहीं आती / लेकिन ऐसा होनेकी संभावना बहुत कम है / . साध्वीजीकी मृत्युके अन्तिम क्षण तक देखभाल करना और उन्हें समाधिदान करना, यह काम कोई बाँयें हाथका खेल नहीं / अभी हालहीमें एक भाईको उनकी माताने साध्वीजीके चार-पाँच करूण प्रसंगोसे प्रेरित होकर पुत्रको वृद्धाश्रमका निर्माण करनेके लिए आग्रह करने पर भारी-दान