________________ चौदह क्षेत्रों से संबद्ध प्रश्नोत्तरी 109 क्योंकि उससे लोगोंमें घृणा होगी / अतः अनिवार्य रूपसे फ्लेटके संडासबाथरूम आदिका उपयोग करना पडेगा / दीर्घकालसे एक ही स्थान पर रहनेसे अतिपरिचय होनेके कारण अति राग या अति द्वेष पैदा होगा / जो नौकर, चौकीदार, झाडुवाली बाई आदिके अधिक संपर्क बढनेके कारण खतरा पैदा होता है / यदि लोग गोचरी-पानी वहोरानेके प्रति अपनी अरुचि व्यक्त करने लगे तो, फ्लेटके रसोईघरमें ही रसोई करानेकी नौबत आ जाय / यह सब चारित्र्यधर्मको बरबाद कर रखेगा / सवाल यह है कि तो इसका विकल्प क्या है ? संघके अगुए श्रावकोंको ही इसका सोच-विचार करना चाहिए / इस विषयमें उनकी घोर उपेक्षा की जाय, यह हानिकारक होगी / __ मेरी निजी मान्यता यह है कि छोटे छोटे पंद्रह-बीस स्थिरनिवासकेन्द्र, तीर्थक्षेत्रोमें बनवायें जायें, तो इस समस्याका हल हो सकता है / जहाँ वृद्ध साध्वियाँ रहे, वहाँ साधु न रहें / वृद्धोंकी तरह बीमार एवं अशक्त साधुओंका भी योजनामें समावेश करना चाहिए / यद्यपि ऐसे स्थिर निवासकेन्द्र भी, इस समस्याका कोई हल नहीं / लेकिन जब तक विविध गाँवोके संघ, स्वयं वृद्ध आदिको भूतकालकी तरह देखभालकी जिम्मेदारी उठा न ले, तब तक ? इस विकल्पके अलावा कोई चारा नहीं, इससे डोली या 'व्हील चेर 'के वृद्धोंके विहार रूक जायेंगे / अत्यंत घनिष्ठ आबादीमें अपना घर लेनेकी बात पर रोकथाम लगेगी / तन्निमित्त चारित्र्यभ्रंश आदिके नुकसानोंसे बचाव होगा / स्थिर निवासकेन्द्रमें भी मुसीबतें तो अनेक हैं / विशेषतः विभिन्न स्वभाववाली व्यक्तियोंको ठीक तरहसे सम्हालनेकी जिम्मेवारी निभानेका काम अत्यंत मुश्किल है / उनके लिए वैद्यकीय चिकित्सा संतोषजनक कक्षाकी होनी चाहिए / उसमें भी यदि कमी रह जाय तो भी वे अत्यंत दुःखी हों, भारी आर्तध्यान करे / ऐसा सब कुछ न होने देनेके लिए श्रावक -श्राविकाओंका उपयोग करना चाहिए / सतत उत्तम कक्षाके श्रावक-श्राविकाएँ मिशनरी संस्थाकी सेवाभावी परिचारिकाओंकी तरह इसी कामके लिए मरमिटना चाहिए / अपने सामायिक, पूजा, प्रतिक्रमण आदिसे भी बढकर साधुसेवाको