________________ 105 चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी प्रश्न : (87 ) जिस गाँवमें वैयावच्चकी रकमकी आमदनीका साधनमाध्यम न हो, वे वैयावच्चका खर्च कैसे निकाल पाये ? उत्तर : जिस नगरोमें मुमुक्षुकी दीक्षाएँ आयेदिन होती रहती हों, वहां उपकरणोंकी उछामनीकी रकम बोली जाय उस रकमको, वे संघवाले जरूरतमंद गाँवोंमें भेज दे / वैयावच्चसे जो साधके लिये रसोंडे चलते हों, उसमें भी उन संघोंको सहायक बनना चाहिए / प्रतिवर्ष वे गाँव अपना पूरा खर्च भेज दे और संघ उन उन रकमोंको यथाशीघ्र भेज दे / इस प्रकार, बडे भाईको छोटेभाईकी मदद मीलनी चाहिए / प्रश्न : (88) विशेषकर साध्विजियोंको शीलरक्षाके लिए आदमीको साथ रखनेकी जरूरत रहती है / तो वैयावच्च विभागमेंसे वेतन दिया जाय ? उत्तर : अवश्य, लेकिन वह मनुष्य अजैन होना चाहिए / साध्वीजीके विहारके लिए ऐसी व्यवस्था हर गाँवमें होनी चाहिए / ___ गाँवकी तीनसे पाँच जैन बहनें (अथवा भाई) साध्वीजीके साथ दूसरे गाँव तक विहार में साथ रहे / दूसरे गाँवके श्रावकोंको साध्वीजी सुप्रद करनेके बाद ही वे अपने गाँव वापस लौटे / बादमें उस गाँवके भाई उस साध्वीजीको अगले गाँव तक जानेके लिए साथ रहे / यदि इस प्रकार किया जाय तो शीलरक्षाका प्रश्न आसानीसे हल हो जाय / उपरान्त, साध्वीजियोंको चाहिए कि वे उजाला होनेसे पूर्व विहार कभी न करे / जो दुर्घटना घटती हैं वह अधिकतर अंधकारमें किये जानेवाले समयके विहारमें ही होती हैं / प्रश्न : (89) वृद्ध या अति ग्लान साध्वीजीको स्थिरनिवास करानेके लिए प्रायः संघ तैयार नहीं होता / अतः वे जहाँतहाँ तिरस्कृत होती है / उसकी प्रतिक्रियाके रूपमें अपने निजी फ्लेटोंकी खरीदी शुरू हुई है, वह योग्य है? उत्तर : निजी मालिकियत जैसे फ्लेटोंके भयको देख ऐसा कहना उचित मालूम होता है कि वृद्ध प्रकारके साध्वीजियोंके लिए, छोटे छोटे अनेक स्थिर निवास आबादीवाले विस्तारोंमें बनाने चाहिए, लेकिन इसमें भी अगर नौकरशाहीके हाथों काम कराना हो, तडप-तडप कर मरनेके सिवा और कोई चारा नहीं रहता / इसी लिए गीतार्थ मिलकर इसका हल ढूंढ निकाले /