________________ 82 धार्मिक-वहीवट विचार पूर्णरूपमें विधिविधान किये बिना देव तुष्टमान नहि होते / अपूर्ण विधि और बहुत अविधि नुकशान करती है / वर्तमान विषमकालमें माणिभद्रवीरको यदि कोई मुमुक्षु आत्मा जाग्रत कर सके ऐसा सत्त्वशाली हो तो, उसे पूरी शक्तिसे काम करना चाहिए / थोड़े सत्त्वशाली मुनिलोग इस काममें जुड जाय तो वह अधिक उचित होगा / प्रश्र :- (47) शिल्प-शास्त्रका मुनियोंको ज्ञान न होनेके कारण. अर्धदग्ध सोमपुराओं द्वारा मंदिरोंके यथानियम निर्माण नहीं हो पाते, तो थोडे मुनियोंको इस विषयमें निष्णात न होना चाहिए ? उत्तर:- साधुओंको सावद्यमें चंचुपात नहीं करना चाहिए, लेकिन क्षतियोंको दूर करनेवालेको मार्गदर्शन देनेके लिए उन्हें निष्णात होना चाहिए / उतना ही नहीं, कतिपय पंडित श्रावक पत्थरोंके प्रकार, उनके भावताल आदिके भी ज्ञाता बने / क्योंकी बहुत-सी देवद्रव्यकी रकम जो भ्रष्टाचारमें चली जाती है, उसे इसी ढंगसे बचा सकते हैं / चातुर्मासमें बिल्लीके टोपकी तरह फूट पड़े तथाकथित सोमपुरा आदि देवद्रव्यको अपनी संपत्ति मान बैठे हैं / भरपूर लूटते हैं / अज्ञानी श्रावक इस विषयमें जरा भी गंभीर नहीं होते; क्योंकि मंदिरनिर्माणके लिए यथेच्छ धन चारों ओरसे-आवेदनपत्र भेजनेके साथ ही- उन्हें मिल पाता है / __यदि इस स्थितिमें सुधार होनेकी संभावना न हो तो ऐसी लूटसे देवद्रव्यके अमूल्य धनको बरबाद करनेकी अपेक्षा सामान्य घरदेरासर जैसे विशाल संघ देरासर बनाना चाहिए / वह शिखरबंद न हो, अत: उसे लोहेका उपयोग न किया जाय आदि नियम लागू नहीं होते / सोमपुराकी आवश्यकता नहीं रहती / इजनेरसे ही काम निपट जाता है / ऐसे होलमें गर्भगृहका भाग संगमरमर जडित सुंदर बनाना चाहिए / ऐसे देरासरको संघ देरासर कहा जाता है / जहाँ जैनोंके घर बहुत कम हों, वहाँ तो अब शिखरबंद देरासरोंके निर्माण करनेसे पहले सोचना चाहिए / वे बचेखुचे घर भी कब गाँव छोडकर चले जायेंगे, कहा नहीं जा सकता / ऐसे स्थलोमें पूर्वके शिखरबंद देरासर हो तो, यह उसका जीर्णोद्धार भी तभी कराना चाहिए यदि उस स्थल पर घर स्थायी बने रहनेवाले हों / या उसकी पक्की व्यवस्था होनेवाली हो, अन्यथा, जिनबिम्बोंका उत्थापन कर अन्य देरासरमें उन्हें रखने पड़े / बिना प्रतिमाके उन देरासरोमें मंगलमूर्ति रखकर ताला लगाना पड़े, जिससे अजैन लोग उसका कब्जा कर न ले /