________________ चौदह क्षेत्रोंसे संबद्ध प्रश्नोत्तरी खर्च न करना पडे / वर्ना जिनमंदिरको संदर और आकर्षक बनानेके लिए जो विशिष्ट खर्च करना पडे उसे देवद्रव्यमेंसे भी किया जाय / कटोरी आदि साधन एवं केसर, सुखड आदि सामग्री कल्पित देवद्रव्यमेंसे भी लायी जा सकती है / प्रश्न :- (43) देरासर और उपाश्रयादि खातेका मुनीम या नौकर एक ही हो तो उसे वेतन किस खातेमेंसे दिया जाय ? उत्तर :- जिस खातेका जितना काम हो उसके अनुसार प्रतिशत प्रमाण निश्चित कर, जिसतिस खातेमेंसे दिया जाय / उसमें भी साधारणमेंसे थोडा अधिक दिया जाय / पूरा साधारण खातेमेंसे वेतन दिया जाय तो सर्वोत्तम होगा / जैन हो तो साधारणमेंसे ही पूरा वेतन दिया जाय / प्रश्न :- (44) कुमारपालकी आरतीके प्रसंगमें कुमारपाल, सेनापति, महामंत्री आदिकी उछामनीकी रकम किस खातेमें जमा की जाय ? उत्तर :- परमात्माकी आरती निमित्त ये सारे पात्र हैं / अतः उन सभीकी उछामनीकी रकम देवद्रव्यमें जमा की जाय / अलबत्त, उन्हें तिलक करनेके चढ़ावेकी रकम साधारण खातेमें जमा होगी / प्रश्न :- (45) देवद्रव्यकी रकममेंसे इलेक्ट्रिक लाईट, माईक आदिका खर्च किया जाय ? उत्तर : नहीं, वह उचित नहीं; क्योंकि इन यंत्रोका उपयोग धर्म संस्कृतिको भारी नुकसान पहुँचानेवाला है। फिर भी यदि इलेक्ट्रिकका बील चुकाना हो तो दीयेके स्थान पर होनेसे, दीयेकी तरह कल्पित देवदेव्यमेंसे ही खर्च लिया जाय / प्रश्न : (46) माणिभद्र वीरकी प्रतिष्ठा देरासरके किसी गवाक्ष में की जा सकती है ? ____ उत्तर :- वह सम्यग्दृष्टि है / उपरान्त, तपागच्छके संरक्षक देव हैं, अंतः उसमें कोई आपत्ति नहीं / माणिभद्रकी प्रतिमा या गवाक्ष आदि, देवद्रव्यमेंसे निर्मित न हो, वास्तवमें तो उसकी स्थापना तीर्थकी तलहटीमें या उपाश्रयमें या उसके बाजुमें करनी चाहिए / वे जिनशासनकी और उसके तपागच्छकी रक्षा करे, उसके लिए ही उनकी प्रतिष्ठादि हो / भौतिक स्वार्थसिद्धिका उद्देश उसमें न होना चाहिए / उनकी प्रतिष्ठा करनेसे जैनसंघकी रक्षा होती है, अतः यह प्रतिष्ठा कर्तव्यरूप है / उस तत्त्वको जाग्रत करनेके लिए जो विधि विधान कर्तव्यरूप हों, उन सभीको गृहस्थलोग अवश्य करें / धा.व.-६