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________________ महावीर का धर्म पुरुषार्थवादी है : आचार्यश्री विद्यानन्द नई दिल्ली। श्री दिगम्बर जैन महासभा रोहिणी द्वारा आयोजित एक विशाल सभा को सम्बोधित करते हुए परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज ने कहा- धर्म को सही रूप में प्रसारित व प्रचारित किया जाये तो वह अमृत है। विचारों में अनेकान्त आहार में अहिंसा वाणी में स्यादवाद और समाज में अपरिग्रह ही सर्वोदय तीर्थ है। इस विशाल भारत देश में अनादिकाल से अनेक महापुरुष होते रहे हैं। वे महापुरुष आगे आने वाली सन्तति के लिये अपने सिद्धान्त रूप सम्पत्ति छोड़कर गये हैं। हमें उनसे सम्पत्ति रूप में अहिंसा, सत्य, सर्वोदय, अनेकान्त आदि सिद्धान्त प्राप्त हुये हैं। भगवान महावीर का सिद्धान्त पुरुषार्थवादी है। उनका कहना है कि पुरुषार्थ से धन, समृद्धि और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। दीपावली पर केवल कागज की लक्ष्मी की पूजा करने से धन की प्राप्ति नहीं हो सकती। इस अवसर पर चारित्रचक्रवर्ती परमपूज्य आचार्यश्री शान्तिसागर जी मुनिराज की समाधि स्वर्ण जयन्ती वर्ष का उल्लेख करते हुए श्री सतीश जैन (आकाशवाणी) ने कहा- दो शब्द हैं चक्रवर्ती और चारित्रचक्रवर्ती / चक्रवर्ती शब्द जैनागमों में विस्तार से मिलता है परन्तु चरित्रचक्रवर्ती उपाधि का उल्लेख 20वीं शताब्दी के प्रथम आचार्यश्री शान्तिसागर जी के लिए ही प्रयुक्त हुआ है। दोनों चक्रवर्तियों के पास अतुल सम्पत्ति है चक्रवर्ती की सम्पत्ति संसार बढ़ाती है और चारित्रचक्रवर्ती की सम्पत्ति (तप, त्याग, ध्यान, ज्ञान, क्षमा, समता) संसार को घटाती है, उन्होंने अपनी सम्पत्ति को उदारतापूर्वक बाँटा जिसके परिणामस्वरूप आज हमें दिगम्बर मुनिराजों के दर्शन सुगमता से हो रहे हैं, आज की यह मुनि परम्परा उनकी ही देन है, 20वीं शताब्दी के प्रथम आचार्यश्री शान्तिसागर जी हैं तो 20वीं शताब्दी के प्रथम उपाध्याय श्री विद्यानन्द जी हैं जो आज हमारे समक्ष आचार्य रूप में विराजमान हैं। ____ मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीय मन्त्री श्री रामेश्वर ठाकुर ने कहा- मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मेरा वही क्षेत्र है जो भगवान महावीर का जन्म स्थान है उस क्षेत्र के विकास के लिए मेरा पूर्ण योगदान रहेगा। दिगम्बर जैन महासभा के अध्यक्ष निर्मल कुमार सेठी ने 4 नवम्बर को वैशाली में होने वाले शिलान्यास समारोह में आने के लिए समाज का आह्वान किया। डॉ: वीरसागर जैन के मंगलाचरण से श्री महेश चन्द जी कलकत्ता वालों की अध्यक्षता में सभा शुभारम्भ हुई, दीप प्रज्जवलन किया श्री बालचन्द्र जैन ने व श्री सुभाष चन्द्र जैन सैक्टर-15 ने पूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी को प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थ भेंट किया, श्री मोहन लाल जैन ने अतिथियों का स्वागत किया। ___श्री गजेन्द्र बज जैन (महासचिव) ने सभा का सफल संचालन एवं संयोजन किया। इस अवसर पर व्रती श्रावक-श्राविकाओं का अभिनन्दन किया गया और इन्हें प्रशस्ति-पत्र भेंट किए गए। प्राकृतविद्या-जनवरी-दिसम्बर (संयुक्तांक) '2004 00 213
SR No.004377
Book TitlePrakrit Vidya Samadhi Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKundkund Bharti Trust
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2004
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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