________________ 56 मृत्यु की दस्तक जानता कि वह कल क्या करेगा? न किसी को यह मालूम है कि किस स्थान पर मरेगा। निःसंदेह अल्लाह ही सम्पूर्ण ज्ञान वाला और जानने वाला है। (21 लुकम, 34) मौत सर्वव्यापी एवं सबके लिए मनुष्य यह देखता है कि मृत्यु प्रत्येक के लिए है। वह कहीं भी रहे मृत्यु से बच पाना सम्भव नहीं। इस तथ्य को कुरआन में कई प्रसंगों द्वारा स्पष्ट किया गया है। अलइमरान में वर्णन है - प्रत्येक प्राणी को मृत्यु का स्वाद चखना है और कयामत (निर्णय) के दिन तुम्हें अपने क्रिया-कलापों का पूरा प्रतिफल दिया जाएगा। (3 अलइमरान, 185) सुरह निसा में है - तुम जहां कहीं भी रहो मृत्यु तुम्हें आकर पकड़ेगी, भले ही तुम . अति सुरक्षित किलों में रहो। (4 निसा, 78) ___ इसी प्रकार अन्यत्र वर्णित है। कह दीजिए कि जिस मृत्यु से बचने के लिए तुम भागते फिरते हो, वह तुम्हें पकड़कर रहेगी। (28 अल जुमह, 8) स्थायित्व नहीं कुरआन की घोषणानुसार प्रत्येक मनुष्य के लिए मृत्यु आवश्यक है। उसके लिए पद एवं सम्मान का कोई महत्त्व नहीं। मनुष्यों में सबसे श्रेष्ठ ईशदूत होते हैं परन्तु कुरआन का स्पष्टीकरण है कि मृत्यु उनके लिए भी है। इस विषय से सम्बन्धित दो आयतों का अनुवाद * प्रस्तुत है - आपसे पहले हमने किसी भी मनुष्य को स्थाई सांसारिक जीवन प्रदान नहीं किया। क्या यदि आप मृतक हो गये, तो वह सदैव जीवित, रहेंगे? प्रत्येक जीवधारी को मृत्यु का स्वाद चखना है। हम तुम में से प्रत्येक को परीक्षार्थ पाप-पुण्य से गुजारते हैं और तुम सब हमारी ही तरफ लौटाए जाओगे। (23 अल मोमेनून, 115, 116) यहां दूसरी आयत में एक तथ्य यह भी स्पष्ट किया गया है कि सांसारिक जीवन में दुःखसंकट तथा सुख-सम्पदा के द्वारा मनुष्य की परीक्षा होती है। इससे संकेत मिलता है कि मृत्यु भी एक परीक्षा है। ईशदूत के लिए मृत्यु का स्पष्टीकरण साधारणतया यह विचार पैदा होता है कि जो लोग अल्लाह की दृष्टि में महान् हैं और जिनको उसने पैगम्बरी (एक विशिष्ट पद), विलायत या बादशाहत आदि महान् पद एवं सम्मान से विभूषित किया है, हो सकता है कि उनके लिए मृत्यु-सम्बन्धी कोई छूट हो। इस विचार के खण्डन हेतु ईश्वर वाणी है - निःसंदेह आप को भी मृत्यु आयेगी और यह सब भी नश्वर हैं। (23 अल ज़मर, 30)