________________ 54 . मृत्यु की दस्तक पर विश्वास) पर बल दिया है जिससे कि मनुष्य ईश्वर आस्था में बुद्धि एवं विवेक के बन्धन से मुक्त हो जाए। मृत्यु के पश्चात् कब्र में या कयामत से पहले जहां कहीं भी मृतक हो, उसे जो कुछ भी सामना करना पड़ता हो उसे अनुभव के प्रकाश में व्यक्त नहीं किया जा सकता है फिर भी तत्सम्बन्धी बहुत सी बातों को विद्वानों ने समझाने का प्रयत्न किया है और स्पष्ट किया है कि उसे स्वीकार किए बगैर कोई चारा नहीं है। प्रामाणिक हदीसों में मृत्यु के पश्चात् की अवस्था का जो वर्णन है उसका सारांश यह है कि मनुष्य जब मर जाता है और उसे दफ़न कर दिया जाता है तब कब्र में उसके पास दो फरिश्ते आकर सवाल करते हैं। यदि मृतक उनके सवालों का ठीक उत्तर दे देता है तब उसे आराम से रख दिया जाता है और यदि वह ठीक उत्तर नहीं दे पाता तब उसे दंडित किया जाता है। दोनों प्रकार के मृतक अपनी इसी स्थिति में कयामत तक रहते हैं। (अहयाउल उलूम, 4/624) ___ इब्न नबी दुनीयां ने एक अपुष्ट (ज़ईफ रिवायत) हदीस वर्णित की है जिससे कब्र में मृतक की अवस्था पर प्रकाश पड़ता है। नबी स. ने फरमाया कि मृतक जब कब्र में रखा जाता है तो कब्र उससे कहती है इन आदम, अफसोस! मेरे बारे में तुम क्यों धोखे में थे, क्या तुझे मालूम नहीं कि मैं कष्टदायक, घोर अंधकारयुक्त, एकान्त एवं कीडे-मकोड़ों वाला घर हूँ? मेरे निकट से तुम निकलते थे फिर भी कैसे धोखे में रहे? (अहयाउल उलूम, 4/618) मृत्यु का आदेश ईश्वर की ओर से कुरआन ने इस वास्तविकता को स्पष्ट कर दिया है कि मृत्यु का आदेश ईश्वर के द्वारा ही होता है। इसमें किसी अन्य का कोई हस्तक्षेप नहीं है। ईश्वर वाणी है - “अल्लाह के आदेश बिना कोई जीवधारी मर नहीं सकता, निश्चित् समय लिखा हुआ है।" (3 अलइमरान 145) ___ इस प्रसंग में उस आयत की व्याख्या भी दृष्टि में रखना लाभदायक होगा जिसमें वर्णित है कि पैगम्बर हज़रत इब्राहीम अ. ने अपने साथ तर्क करने वाले एक व्यक्ति से अल्लाह की यह विशेषता बताई कि वह जिलाता है और मारता है। उस व्यक्ति ने दावा किया कि मैं भी जिलाता और मारता हूं। इब्राहीम अ. ने कहा कि अल्लाह सूरज को पूर्व दिशा से ले आता है तू उसे पश्चिम दिशा से ले आ। (2 अल वकरह, 258) जीवन एवं मरण का स्वामी अल्लाह इस विषय को कुरआन में अनेकों स्थानों पर वर्णित किया गया है कि मृत्यु एवं जीवन मात्र ईश्वर के हाथ में है। अन्य कोई न तो मार सकता है और न ही जीवित कर सकता है। ईश्वर वाणी है - (और यह वही है जो जिलाता और मारता है तथा रात और दिन के परिवर्तन का स्वामी भी वही है। क्या तुमको विवेक नहीं।) (23 अल मोमेनून, 80)