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________________ 52 . मृत्यु की दस्तक 2. मनुष्य मृत्यु के बाद विलीन हो जाता है। उसे कब्र में किसी भी प्रकार के सुख-दुःख * का अनुभव नहीं होता है। हां, जब पुनः उसे जीवन प्राप्त होगा तब पूर्व कर्म का प्रतिफल भोगेगा। . 3. आत्मा नष्ट नहीं होती है अर्थात् मृत्यु से उसका अन्त नहीं होता है। दंड और अच्छा प्रतिफल का सम्बन्ध इसी आत्मा से ही होता है, शरीर से नहीं। शरीर का कोई महत्त्व न होगा। यथार्थ कथन उपरोक्त तीनों कथनों को इमाम गज़ाली ने यथार्थ से परे समझा है तथा कुरआन व हदीस की रोशनी में सत्पथ प्रदर्शन करते हुए लिखा है कि “मृत्यु” एक अवस्था परिवर्तन मात्र है। शरीर से पृथक्ता के बाद भी आत्मा जीवित रहती है। उसे सुख-दुःख का सामना करना पड़ता है। शरीर और आत्मा के आपसी सम्बन्ध को स्पष्ट करते हुए इमाम गज़ाली ने लिखा है कि मानव शरीरांग आत्मा के यंत्र एवं माध्यम हैं उनका उपयोग आत्मा करती है। मृत्यु के बाद उसका सम्बन्ध शरीर से टूट जाता है परन्तु अब इस अवस्था में आत्मा को बिना किसी माध्यम के ज्ञान प्राप्त होता है। वह सुख-दुःख का अनुभव करता है। इस विवेचना से यह ज्ञात होता है कि आत्मा को अंग द्वारा जो कुछ अनुभूति होती है वह मृत्यु के बाद समाप्त हो जाती है तथा जो कुछ बगैर माध्यम के प्राप्त होता है उसका क्रम मृत्योपरान्त भी जारी रहता है। (अहयाउल उलूम, 4/612) शाह वलीउल्लाह का कथन आप हिन्दुस्तान के एक बहुत बड़े विद्वान् थे। धर्मशास्त्र का रहस्य, विषय पर उनकी पुस्तक हुज्जतुल्लाहिलवालेगह बहुत प्रसिद्ध है। इस पुस्तक में शाह साहब ने मृत्यु की वास्तविकता पर भी विचार व्यक्त किया है। उनकी भाषा-शैली कुछ कठिन है परन्तु तथ्य बहुत स्पष्ट हो जाता है। मृत्यु की अवस्था में आत्मा का शरीर से जिस प्रकार का सम्बन्ध होता है उसे स्पष्ट करते हुए लिखते हैं - فمن قال بان النفس النطقية المخصوصة بالانسان عند الموت ترفض المادة مطلقا فقد خرص، نعم لنا مادة بالذات، وهي النسمة، ومادة بالعرض، وهو الجسم الأرضي، فاذا مات الانسان لم يضر نفسه زوال المادة الأرضية، وبقيت حالة بمادة النسمة، ويكون كالكاتب المجيد المنوف بكتابنه اذ قطعت يداه، ملكة الكتابة بحالها." अर्थात् यदि कोई यह कहता है कि आत्मा मृत्यु के समय पदार्थ को पूर्णतः छोड़ देता है तो वह झूठ कहता है। हां बात यह है कि उसका एक स्वयं का पदार्थ
SR No.004376
Book TitleMrutyu ki Dastak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya
PublisherD K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan
Publication Year2005
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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