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________________ अमरत्व पर विषरूपी मृत्यु का तांडव 163 परमात्मविषयक ज्ञान तो अमृत है ही। श्रुति भगवती कहती है - “तमेवविदित्वातिमृत्युमति / उन परमात्मा को जान लेने पर मनुष्य मृत्यु को पार कर जाता है, अमर हो जाता है। गीता में भी भगवान ने कहा है कि परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करके मनुष्य परमानन्द रूप अमृत का पान करता है - “यजज्ञात्वामृतमश्नुते” - यह तो हुई साधनभूत ज्ञान की बात। साध्यरूप ज्ञान तो परमात्मा का स्वरूप ही है - “सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म / गीता भी परमात्मा को ज्ञान स्वरूप बतलाती है - “ज्ञानं ज्ञेयं ज्ञानगम्यम्" / भक्ति भी तत्त्व-ज्ञान का साधन होने से अमृत है। गीता में भगवान ने कहा है कि अनन्य भक्ति के द्वारा भगवान का भजन करने वाला व्यक्ति तीनों गुणों को लाँघकर ब्रह्म प्राप्ति के योग्य बन जाता है - मां च योऽव्यभिचारेण भाक्तयोगेन सेवते। स गुणान समतीत्यैतान ब्रह्मभूयाय कल्पते।। वैराग्य भी अमृत है। राग; स्नेह अथवा आसक्ति से रहित होना ही वैराग्य है। वैराग्य को भगवान ने स्थिर बुद्धि का लक्षण बतलाया है और स्थिर बुद्धि पुरुष तत्काल भगवान को प्राप्त कर लेता है। ___ महाभारत में महात्मा भीष्म भी भगवच्छरणागति से सनातन ब्रह्म की प्राप्ति बतलाते हैं। भीष्म जी कहते हैं - . . वासुदेवाश्रयो भो वासुदेवपरायणः / सर्वपापविशुद्धात्मा याति ब्रह्म सनातनमः / / भगवान वासुदेव के आश्रित होकर एकमात्र उन्हीं के परायण, उन्हीं पर निर्भर रहने वाला मनुष्य सम्पूर्ण पापों से छूटकर सनातन ब्रह्म को प्राप्त हो जाता है। योगदर्शन में भी ईश्वरप्रणिधान - भगवच्छरणागति को योग अथवा समाधिसिद्धि का साधन माना गया है। . भगवान का चरणामृत, उनके चरणों में चढ़ी हुई तुलसी, साक्षात् उनका पदोदक रूप श्री गंगाजी तथा भगवत्प्रसाद - ये सब भी अमृत हैं। भगवान के चरणामृत की शास्त्रों में बड़ी महिमा गायी गयी है। पद्म पुराण में लिखा है - विष्णोः पादोदकं पीतं कोटिजन्माथनाशनम् / भगवान विष्णु का चरणोदक पीने से करोड़ों जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। इसीलिए उसे चरणामृत कहा जाता है। तुलसी के सम्बन्ध में भी पद्म पुराण के वचन हैं -
SR No.004376
Book TitleMrutyu ki Dastak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya
PublisherD K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan
Publication Year2005
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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